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सती मदनरेखा
पास पहुंचकर पद्मरथ ने शिशु को देखा तो आनन्द से झूम उठता है
मुझ निःसन्तान को आज भाग्य ने सन्तान दे दी है।
राजा पद्मरथ शिशु को लेकर वापस मिथिला नगरी में आया और उसे महारानी को सौंपते हुए बोला
महारानी ! देखो हमारा भाग्य। पुत्र की कामना से तुम व्याकुल थीं, आज पूर्ण हो गई। कितना सुन्दर और तेजस्वी पुण्यशाली बालक है। इसे
ही अपनी सन्तान मानकर पालो।
रानी भी बालक को देखकर आनन्द में झूम उठी। मिथिला नगरी में धूम धाम के साथ पुत्र जन्म का उत्सव मनाया गया
इसके आते ही हमारे सब शत्रुस नम गये हैं, अतः हम इस बालक) H Aका नाम नमिकुमार रखेंगे|
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कायाला
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और आज से यह हमारा)
उत्तराधिकारी है।
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