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राजकुमारी चन्दनबाला
सेठ जी अपने घर पहुँचे। वहाँ सेठानी मूला ने जब सेठ जी को एक रूपवती स्त्री के साथ रथ से उतरते देखा तो वह चौंक गयी। उसने सेठ से प्रश्न किया
यह लड़की कौन है ? आप इसे अपने साथ क्यों लाये हैं।
वसुमती ने आगे बढ़कर सेठानी मूला को प्रणाम किया। ने अनमने मन से उसे आशीर्वाद दिया।
मूला
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प्रिये! संतान न हो तो घर कितना सूना लगता है?
आज मैं तुम्हारे लिए पुत्री लाया हूँ। यह लक्ष्मी रूपकन्या हमारे यहाँ खुशियाँ बरसाएगी।
वसुमती ने शीघ्र ही अपनी चतुरता, सेवाभाव एवं मधुर व्यवहार से सेठ धनावाह एवं घर के सभी दास-दासियों का दिल जीत लिया।
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