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________________ २४ तीर्थंकर तीर्थधाम : एक विशिष्ट अभिनव महान तीर्थ आन्ध्र प्रदेश के नेल्लुर शहर के समीपवर्ती काकटूर की रमणीय स्थली पर एक सुंदर अभिनव तीर्थ का निर्माण कार्य तीव्रगति से संपन्न हो रहा है। इस महान तीर्थ में निर्माणाधीन गुलाबी पत्थर से निर्मित गगनचुम्बी नव शिखरों से युक्त गोलाकार भव्य समवसरण मंदिर अपनी कलात्मक विशेषता एवं सौंदर्य से लोगों का आकर्षण केन्द्र बनेगा, यह निश्चित है। जैन शिल्पशास्त्र के अनुसार समूचे मंदिर का निर्माण कार्य इस दक्षता के साथ हो रहा है कि संभवतः इस जोड़ की रचना सर्वप्रथम हो। इस मंदिर का अत्यंत सुंदर आकार, शिखर संयोजना एवं मध्य में कल्पवृक्ष की संरचना अपने आपमें अनूठी एवं अद्वितीय रहेगी। मूलनायक चरमतीर्थाधिपति शासननायक श्रमण भगवान महावीर स्वामी की ५१ इंच की चौमुखी नयनाभिराम चार प्रतिमाएँ कल्पवृक्ष के नीचे विराजमान होंगी, साथ में वर्तुलाकार आठ देहरी में २४ तीर्थंकर भगवान की ३१ इंच की २४ प्रतिमाएँ भी स्थापित होंगी। दक्षिण भारत में अपने ढंग का अद्वितीय एवं चित्ताकर्षक इस तीर्थ के अन्तर्गत विशाल उपाश्रय, ज्ञानमंदिर, सुविधा संपन्न धर्मशाला एवं भोजनशाला व गृहमंदिर का निर्माण कार्य सम्पूर्ण हो चुका है। हमारे परम पुण्योदय से अध्यात्मयोगी आचार्य देव श्रीमद् विजय कलापूर्ण सूरीश्वरजी म. सा. आदि के पूर्ण मार्गदर्शन एवं शुभाशीर्वाद से इस तीर्थ के शीघ्र निर्माण कार्य के साथ अंजनशलाका प्रतिष्ठा का भव्य महोत्सव भी शीघ्रता से संपन्न होगा। मद्रास में श्रीचन्द्रप्रभ जैन नया मंदिर जी की प्रतिष्ठा महोत्सव में पूज्यश्री के पावनहस्ते ३१ इंच की तीन प्रतिमाओं की अंजनशलाका कराई गईं जो वर्तमान में इसी तीर्थ के गृहमंदिर में स्थापित हैं। भारत के महान समृद्धिशाली संघों एवं भाग्यशालियों से विनती है कि इस भागीरथ कार्य को पूर्ण रूप देने में हमें अपने हृदय के भावों से पूरा सहयोग देकर पुण्य के प्रभाव से मिली लक्ष्मी का सदुपयोग करें। आपका सहयोग ही हमें गतिशील बनायेगा । आपके सहयोग से निर्मित होने वाला आपका अपना तीर्थ २४ तीर्थंकर तीर्थधाम मद्रास विजयवाडा नेशनल हाइवे नम्बर पांच पर मद्रास से १६० कि. मी. की दूरी पर स्थित है। नेल्लुर रेलवे स्टेशन पर उतरने वालों को वहाँ पहुँचने के लिये स्टेशन से टैक्सी तथा आटो की व्यवस्था है। ट्रस्ट का जय जिनेन्द्र Jain Education International निवेदक २४ तीर्थंकर तीर्थधाम ट्रस्ट For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002809
Book TitleBhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandramuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size14 MB
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