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महावीर ने कहा
गौशालक, जैसे तिनके की ओट में चोर अपने को छुपा नहीं सकता। वैसे ही तुम मिथ्या बोलकर खुद को छुपाने का प्रत्यन मत करो। तुम मंखली पुत्र गौशालक ही हो।
भगवान के प्रति ऐसी अशिष्टता देखकर सर्वानुभूति और सुनक्षत्र नामक दो श्रमणों ने गौशालक को फटकारा तो गौशालक के हृदय में जैसे आग लग गई उसने दोनों श्रमणों पर तेजोलेश्या छोड़ी।
करुणानिधान भगवान महाव
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गौशालक क्रोध में आकर भगवान महावीर को गालियाँ बकने लगा।
काश्यप, तू आज जीवित नहीं रहेगा मैं तुझे जलाकर भस्म कर डालूँगा।
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दोनों मुनि जलकर भस्म हो गये।
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