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करुणानिधान भगवान महावीर युवा होने पर एक दिन माता-पिता ने वर्धमान माता-पिता के आग्रहवश राना समरवीर की पुत्री से कहा
यशोदा के साथ महावीर का पाणिग्रहण हुआ। बेटा, भले ही तेरी इच्छा नहीं है, किन्तु हमारी इच्छा पूरी करने के लिए ही तुझे विवाह करना चाहिए।
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कालय
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जब महावीर २८ वर्ष के हुये तब तक उनके कुमार वर्धमान अनुमति लेने के लिए बड़े भाई पिता राजा सिद्धार्थ तथा माता त्रिशला स्वर्गवासी नन्दीवर्धन के पास गये। नन्दीवर्धन ने दीक्षा की हो चुके थे।
बात सुनी तो वह बहुत दुःखी हुए। अब मुझे दीक्षा लेकर भाई ! अभी माता-पिता के शोक से मेरा तप संयम का कठोर || हृदय दुःखी है. तुम भी छोड़कर चले मार्ग अपनाना चाहिये। जाओगे तो मुझे कौन सहारा देगा?/
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