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करुणानिधान भगवान महावीर
चैत्र शुक्ला त्रयोदशी की मध्यरात्रि के समय माता त्रिशला ने एक दिव्य शिशु को जन्म दिया। समूचा संसार प्रकाश से जगमगा उठा। ५६ दिक्कुमारिकाओं ने सूतिका कर्म किया और देवताओं के झुण्ड चौबीसवें तीर्थंकर का जन्म कल्याणक महोत्सव मनाने क्षत्रियकुण्ड की ओर चल पड़े।
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सौधर्मेन्द्र आदि चौंसठ इन्द्रों एवं असंख्य देवताओं ने मिलकर मेरूपर्वत पर ले
नाकर भगवान का जन्म अभिषेक किया।
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