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________________ 0* * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * शान्ति अवतार शान्तिनाथ * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * वैदिक परम्परा में जिस प्रकार २४ अवतारों का वर्णन है उसी प्रकार जैन परम्परा में २४ तीर्थंकरों का वर्णन आता है। २४ तीर्थंकरों की पावन परम्परा में १६ वें तीर्थंकर भगवान शान्तिनाथ थे। भ. शान्तिनाथ पूर्व जन्म में राजा मेघरथ थे जिन्होंने एक शरणागत कबूतर की प्राण-रक्षा के लिए अपने शरीर का माँस काटकर देने में भी हिच-किचाहट नहीं की। जीव-रक्षा के लिए उनका यह आत्म-बलिदान करूणा प्रधान भारतीय संस्कृति की गौरव गाथा है। वैदिक परम्परा में यही कथा राजा शिवि के नाम से प्रसिद्ध है। भ. शान्तिनाथ का जन्म इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रियों की राजधानी हस्तिनापुर में हुआ। उनके जन्म के समय देश में महामारी का प्रकोप फैला हुआ था जो माता अचिरादेवी द्वारा शान्ति स्तोत्र का पाठ करने पर शान्त हो गया। उनकी विद्यमानता में हस्तिनापुर जनपद में कभी भी दुर्भिक्ष व रोग आदि का उपद्रव नहीं हुआ इस कारण भ. शान्तिनाथ संसार में शान्ति अवतार के रूप में प्रसिद्ध हुए। वे ५ वें चक्रवर्ती सम्राट बने और फिर राज-वैभव त्यागकर साधना करके १६ वें तीर्थंकर हुए। भगवान महावीर के समय में ही शान्ति अवतार के रूप में उनकी प्रसिद्धि हो चुकी थी, जिसका साक्षी है भगवान महावीर का यह कथन-सन्ति सन्तीकरे लोए-शान्तिनाथ जगत में शान्ति करने वाले हैं। आज भी सम्पूर्ण जैन समाज में शान्तिनाथ शान्ति अवतार के रूप में मान्य व पूज्य हैं। जहाँ कहीं भी, रोग- भय-अग्नि आदि प्राकृतिक व सांघातिक विपत्तियाँ आती हैं तो श्रद्धालु जन व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप में शान्ति- पाठ करते हैं। शान्तिनाथ की पूजा एवं प्रार्थनाएँ होती हैं और उपद्रव शान्ति का चमत्कारी अनुभव भी किया जाता है। प्रस्तुत चित्रकथा में शान्ति अवतार भगवान शान्तिनाथ का संक्षिप्त जीवन वृत्त श्री हेमचन्द्राचार्य कृत त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र आदि के आधार पर साध्वी डॉ. विद्युत प्रभाश्री ने तैयार किया है। -गणि मणिप्रभ सागर * ** * * * * * * * *********** * * * * * * * * * * सम्पादन : श्रीचन्द सुराना 'सरस' * लेखन : साध्वी डॉ. विद्युत प्रभाश्री मी एम.ए. पी.एच-डी संयोजन प्रकाशन : संजय सुराना * चित्रांकन : डॉ. त्रिलोक, डॉ. प्रदीप * * * * प्रकाशक * * * * * * दिवाकर प्रकाशन ए-7, अवागढ़ हाउस, एम. जी. रोड, आगरा-2 पारस प्रकाशन पारस परमार्थ प्रतिष्ठान द्वारा श्री हरखचन्द जी नाहटा 21, आनन्द लोक, नई दिल्ली-110049 * * * * * * * * * * © राजेश सुराना द्वारा दिवाकर प्रकाशन ए-7, अवागढ़ हाउस, एम. जी. रोड, आगरा-2 के लिए प्रकाशित। दूरभाष : (0562) 351165, 51789 एवं लक्ष्मी प्रिंटिंग प्रेस द्वारा मुद्रित। * * * * 0*************************************** meaoneteluronate For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orm
SR No.002807
Book TitleShantiavatar Shantinath Diwakar Chitrakatha 007
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreeji, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size20 MB
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