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________________ एक बार हस्तिनापुर नगर में भयंकर महामारी फैल गई। प्रतिदिन सैंकड़ों लोग मरने लगे। प्रजा घबराकर राजा विश्वसेन के पास आई। www अपने कक्ष में आकर विश्वसेन प्रभु आराधना में लीन हो गये। GGGG 15000 महाराज ! इस भयंकर विपदा से हमारी रक्षा कीजिये । Jain Education International 00000 12325 राजा ने प्रजा को दुःखी । देखकर प्रतिज्ञा की। उनकी उग्र तपस्या से द्रवित होकर इन्द्र राजा के पास आये और बोले D जब तक यह उपद्रव शान्त नहीं हो जाता, मैं अन्नजल ग्रहण नहीं करूँगा। राजन् ! कितने आश्चर्य की बात है, महारानी के उदर में साक्षात् शान्ति अवतार पल रहे हैं और आप अशान्ति का अनुभव कर रहे हैं? | लगातार कई दिनों तक बिना कुछ खाये पीये तप करते रहे। इन्द्र राजा को शान्ति का उपाय बताकर चले गये। अगले दिन महारानी अचिरादेवी ने इन्द्र के बताये अनुसार शान्ति स्तोत्र मन्त्र का पाठ किया। हे भगवान, हमारे राज्य पर आईं आपत्ति, रोग पीड़ायें शान्त हो जायें। 19 For Private & Personal Use Only Go. www.jainelibrary.org
SR No.002807
Book TitleShantiavatar Shantinath Diwakar Chitrakatha 007
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreeji, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size20 MB
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