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________________ शान्ति अवतार भगवान शान्तिनाथ | इधर राजा श्रीविजय को भ्रमित करने के लिये रानी की आवाज सुनते ही श्रीविजय घबड़ाया हुआ | विद्याधर ने अपनी विद्या की सहायता से सुतारा का वापिस वहाँ पहुँचा और अपनी प्राणप्रिया रानी को मरा दूसरा रूप बनाया और श्रीविजय को आवाज दी- पड़ा देख शोकाकुल हो गया। BAGPAअब मैं जीकर क्या 16000 तुम कहाँ हो प्रिय ! मुझे करूँगा, मैं भी अपनी प्रिया WE सर्प ने डस लिया, बहुत के संग प्राण त्याग दूंगा। SSAR पीड़ा हो रही है....... जERE NGLIPAT 03.00 ALSO MING TARA RAJAare उसने लकड़ियां एकत्रित की। अपनी प्रिया रानी का मंत्रित जल छिड़कते ही नकली सुतारा अट्टहास करती हुई। शव गोद में लेकर चिता में बैठ गया, और आग आकाश में उड़ गई। यह देखकर राजा चकरा गया। लगा दी। इतने में दो विद्याधर वहाँ आये और उसन विद्याधरी से पूछा-- |चितापर मन्त्रित जल छिड़कर आग बुझा दी। (हा...हा ....हा....! WOO 40020.001200 G Sdhya Eeo footra यह क्या मायाजाल है? तुम कौन हो। . . 6000 SNA CAPTER OA ROMA USA READ Main Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002807
Book TitleShantiavatar Shantinath Diwakar Chitrakatha 007
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreeji, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size20 MB
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