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भगवान महावीर की बोध कथाएँ शिवदत्त ने उसी गाँव में एक दुकान लेली और ब्याज के पैसों की आमदनी से वह सुखपूर्वक गाँव वालों को ब्याज पर पैसा देने लगा। खाता-पीता और चैन से रहने लगा।
तीसरा पुत्र जिनदत्त बड़ा ही चतुर था। उसने रास्ते में ही एक किसान से एक गाड़ी अनाज नगद पैसे देकर सस्ते भावों में खरीद लिया।
किसान ने अनाज को बैलगाड़ी में भर कर शहर की अनाज मंडी में पहुंचा दिया।।
Prewa TIWANA
भाई! इस अनाज को शहर तक पहुंचा दो। भाडा और खर्चा भी दे दूँगा।
यहाँ यह अनाज जरूर ऊँचे दामों पर
बिक जायेगा।
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