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भगवान ऋषभदेव ऋषभदेव में शासन व्यवस्था को उचित रूप हो चलाने के लिये। वस्तुओं का विनिमय करने वाले चतर लोगों को समाज में कार्यों का बटवारा कर दिया। बलवान और शक्ति वैश्य संज्ञा दी गई। वे व्यापार करने लगे। सम्पन्न व्यक्तियों को समान की रक्षा करने का कार्य सौंपा, वे क्षत्रिय कहलाये।
जिनमें सेवा सहयोग की भावना थी, उन्हें कहा गया। वे समान की सेवा करने लगे।
पुत्र की भाँति, प्रजा का पालन, संरक्षण |विकास करते हुए लोकनायक ऋषभदेव जीवन के उत्तरार्ध में पहुंचने लगे। एक दिन उन्होंने सोचा
अब मैं राज्य का समस्त दायित्व पुत्रों को सौंपकर चिन्ता मक्त हो जाऊँ...!
भरतसबसे बडपुत्रथइसलिए इन्हें अयोध्या बाहुबली को तक्षशिला तथा अन्य अठानवें पुत्रों को छोटे-छोटे प्रदेशों का का राज्य सौंपा गया।
शासन सौंपकर ऋषभदेव राज्य चिन्ता से मुक्त हो गये।
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