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भगवान ऋषभदेव दोनों भाइयों की सेनायें आमने-सामने आकर डट गई, इस महायुद्ध को देखने के लिये आकाश में हजारों देवता, दानव, राक्षसों का जमघट लग गया। भयंकर नरसंहार की कल्पना से देवराज इन्द्र का हृदय कॉप उठा।
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अहिंसा अवतार भगवान ऋषभदेव के पुत्र होकर आप हिंसा का ताण्डव नृत्य करेंगे? कितनी लज्जा की बात है यह? नरसंहार न हो इसलिये सेनायें मूकदर्शक बनकर देखती रहेंगी। आप दोनों भाई परस्पर शक्ति
परीक्षण करेंगे, मो जीतेगा वही विजेता होगा।
देवराज इन्द्र व्यर्थ का रक्तपात रोकने के लिए दोनों सेनाओं के बीच में आकर खड़े हो गये।
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