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रिष्ठसमुच्चयशास्त्रम् [को० १५५-१६० परमं गोमुत्तेणं पुणोवि खीरेण रोयगहियस्स। पक्खालिय' करजुअलं चिंतह दिर्ण-मास-वरिसाई ॥१५॥ पणरह' बामकरम्मि य पणरह चिंतेह दाहिणे हत्थे। मुक्कं पक्खं वामे तह चिंतह दाहिणे कसणं ॥ १५६ ॥ पडिवयआइंदिणाई उभयंकरे[य] कणिहिआईसु"। चिंते जह" पयडाई रेहाणुवरि पयत्तेण ॥ १५७ ॥ करजुअलं° उबहि" पच्छा गोरोयणाई दिधाएं । अहिमंतिय सयवारं पच्छा जोएह करंजुअलं ॥ १५८ ॥ जत्थ करे अह" पव्वे जत्तिमित्ता" य कसणबिंदू य । तत्तिय दिणाइ मासा वरिसाइँ जिएइ सो" मणुओ॥१५९॥ रोयगहियस्स कोई जइ पुच्छह तो चएवि तं वयणं । काराविजई पण्हं" इयमंतं तंमुहे जविडं ॥ १६०॥
प्रथमं गोमूत्रेण पुनरपि क्षीरेण रोगगृहीतस्य । प्रक्षाल्य करयुगलं चिन्तयत दिन-मास-वर्षाणि ॥ १५५ ॥ पञ्चदश वामकरे च पञ्चदश चिन्तयत दक्षिणे हस्ते ।। शुक्ल पक्षं वामे तथा चिन्तयत दक्षिणे कृष्णम् ॥ १५६ ॥ प्रतिपदादिदिनान्युभयकरयोश्च कनिष्ठिकादिषु । चिन्तयेद्यथाप्रकटानि रेखाणामुपरि प्रयत्नेन ॥ १५७ ॥ करयुगलमुद्धृत्य पश्चाद्गोरोचनया दिव्यया । अभिमख्य शतवारं पश्चात्पश्यत करयुगलम् ।। १५८ ॥ यत्र करेऽथ पर्वणि यावन्मात्राश्च कृष्णबिन्दवश्च । तावन्ति दिनानि मासानि वर्षाणि जीवति स मनुजः ॥ १५९ ।। रोगगृहीतस्य कोऽपि यदि पृच्छति तदा त्यत्तवा तद्वचनम् ।
कार्यते प्रश्न इमं मत्रं तन्मुखे जपित्वा ॥ १६० ॥ 1 B रोम। 2 B गहिअस्स । 3 B पक्खालिअ । 4 S °जुवलं। 5 B दिणपक्ख'
6S वरिसाइ। 7 P पनरह। 8B अ। 9P पनरह। 11S परिवय। 125 °आय°। 13 B °दिणांई; S दिणेइ। 14P उयह S उहय। 15 P कणियाईसु; S कणिट्टयाइसु। 16 B चिंतेह; S चिंतिजह। 17 B BS it is missing. 18 S पयडायं । 19 B रेहांगु। 20 S जुवर्क। 21P अवष्टिय; S उच्चहिय। 22 B गोरोअणाए; S गोरोयणे । 23 BS दिवाए। 248 जोवेह। 25 P It is missing. 26 S 'जुवलं। 27 S जहजह। 28P जतिया, Sजेत्तिय। 29 S °मत्ता। 30 B it is missing. 31 P कसिण। 32 Bit in
missing. 33 B तित्ति; S तेत्तिय । 34 BP दिणाई। 35S मासां। 36B लिए P बीएछ। 37 B it is missing. 38 B रोगद्धिमस्स। 39 B वदित 40S पुणु कारिजद। 41 P पन्हं। 42 B ६अ। 43P विओS जपिर।
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