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________________ स एष राघवभ्राता IV. 31.47a रामस्त्वां राजन् VI. 28.21c सुमहाकाय : II. 97.25a हि महाकायः II. 84.3c 93 3 कक्षमित्र विस्तीर्णम् VII. 14.1sa " 33 " " " कक्ष्या धन्विभिर्गुप्ताः II. 17.20a कच्चिद्राह्मणो विद्वान् II. 100.9a कथंचिद्विमुक्तैर्वा V. 62.28a कथं स्यजते मया II. 13.8d त्वत्कृते राम II. 12.320 कषायाणि II. 12.97a पालयिष्यामि II. 106.23c रामबाणः VI. 68. 14c कदाचिञ्चिरालोके III. 43.42a कदाचित् IV. 59.10a कदाचित्प्रभातायाम् III. 16.2a कदाचिद्रवां कोटी: VII. 53.8a कपिर्नाशयामास V. 46.39c कपिर्मास्तबल: VI. 52.35c कपिर्माहतात्मजः V. 6.36b कपित्रेरयामास V. 46.25a 29 "" "" " ور " " 31 31 33 "" " ده " "" 33 33 ". " स कपिः शास्यतामिति V. 46.4d IIb د. " "" ;" 93 " " कम्पं जनयामास VI. 88.65c "" "3 कर्तुं भगवानृषिः II. 64.20d कर्मण्यननुष्ठिते VI. 86. 14d कर्मसु न सीदति V. 1.god सकलत्रस्य संदेहः II. 116.22a स कल्पवृक्षप्रतिमः V. 22.29a "2 22 ور و 12 कस्मात्प्राकृत इव VI. 69.30 कस्माद्रावणो युद्धे VI. 36. IOC कस्य सुकृतं स्मरेत् IV. 55.5d काङ्क्षमाणो लवणम् VII. 67.170 " काञ्चनमयं दिव्यम् VI. 60.4a पीठम् II. 81.11a " Jain Education International ११६२ काञ्चनविचित्रेण IV. 63.27a कश्चनं भ्रातुसहस्रजुष्टम् VI. 74.63b भारसहं निवातम् VI. 65.30a काञ्चनायैर्मुनिभिः समेतै VII. 66.17a सकामपाशपर्यस्तः II. 31.12 स कामबलसंयुक्तः II. 10. 17c काममनवाप्यैव I. 1. 3Sc कामवशमापन्नः IV. 1. 2c सकामा न च शत्रत्र: IV. 110.21d सकामान्सुहृदः कुरु II. ror.rod सकामा भगिनी मेऽस्तु III. 23.23a भव कैकेयि II. 42.21a 7 66.3a VI. 32.4a 21 33 सुखिनी भव II. 13.5d सकामां न करिष्यामि II. 73.170 स कामिनं दीनमदीनसत्त्वम् IV. 31.Ja सकामेव हि कामिनी V. 10.40d " " ور .. 21 सकामो भव सुग्रीव IV. 20.21a रावणः कृतः VI. 50.1gd सकार्मुकः खड्गघरः समुत्पतन् V. 47.33b " स कार्यं कर्तुमर्हति V. 41.5d स कालभगिनीं कन्याम् VII. 4.16a कालं परिसंख्याय IV. 30.6ga काले प्राप्तवलोकम् VII. 90.23c कालो जेष्यते कथम् VII. 20.28d व्यत्यवर्तत IV. 9 15d "" 50.3d सकाशमागतो राज्ञः VII. 55.14a सकाशमतिधार्मिकः VII. 100.18d """ "" .. ,, 22 39 सकाशं जगतीपतेः II. 34.15d दूतचोदितः II. 70.15b मानवेन्द्रस्य V. 37-320 लवणस्य सः VII. 67. 17d सकाशाद्विधिवत्प्राप्य I. 49.22c " " For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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