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________________ २६४ गजेन्द्र डमथिता VII. 26.42a गजेन्द्रपोताविव संप्रयुक्ती VI. 40.Igb गजेन्द्र प्रतिमा: शिलाः IV. II.I5b गजेन्द्रमृदिताः फुल्ला: V. 9.47c गजेन्द्रवःजिप्रवरौघसंकुलाम् VII. 64.18b गजेन्द्रसम विक्रमी VI. 51.13d गजेन्द्रहस्तप्रतिमश्च पीन: V. 29.4a ., हस्ताभिहते व वल्लरी VI. 115.25d गजेन्द्रः पर्वताकार: VI. 52.13a गजैः पर्वतकूटाभैः III. 25. Ioa गरिव समाकुला VI. 57.21b गजेश्च गजमूर्धगाः VII. 7.4b गजैश्चाग्निशिखोपमेः VI. 43.2b गजेश्चैव मदोत्कटैः VI. 51.27b गजो गवाक्षः कुमुदः VI. 37.3a ,, ,, पनसः VI. 47.20 ,, गवाक्षो गवय: IV. 26.35a " " , IV. 50.5c IV.65.2a " , , VI. 27.46c , , , VI. 30.26c , , , VI. 42.31a ,, ,, ,, सुदंष्ट्रः VII. 36.48a गजोत्तमानां गतयोऽद्य मन्दा: IV. 30.35d गजो महाकूपमिवावृतं तृणैः V. 47.20d गजोष्ट्रहयपादाश्च V. I7. I0c गजं वाभ्यागतं मृगम् II. 63.21b ,, वा वीक्ष्य सिंहं वा II. 60.20a ,, विव्याध संयुगे VI. 73.44d गणकाशिल्पिनश्चैव I. I3.7c गणयामास जानकी V. 58.82b गणशः पर्यदेवयन् III. 52.40b गणा देवस्य कम्पिता: VII. 16.26b गणिकाभिर्ऋषेः सुतः I. 9.18b गणिकावरशोभिताम् II. 51.21d गणिकाश्च स्वलंकृताः II. 3.17d गणि काश्चैव सर्वशः VI. 127:3d गणिकास्तत्र गच्छन्तु I. 10.5a गण्डपार्श्वे निवेशितः V. 10.51) । गतकेशो भविष्यामि II. 2.1.40 गतः खलु महाराज: VII. 23.50a गतचन्द्रेव शर्वरी I. 53.25d गतं तु गङ्गापरपारमाशु II. 52.100 गतं त्वमनु शोचसि V. 33.yd ,, नाधिगमिष्यति III. 31.4d गतः पारमिवाम्भसः II. 98.17d गत प्रत्यागतानि च VI.10.23d , ,, VI. 107.31d गतप्रभमिवादित्यम् II. 66.IC गतप्रभा द्योरिव भास्करं विना II. 66.28a गतः प्राप्तः क्रियाफलम् IV. 25.0b ,, प्राप्नोति योजनम् VI. 27.17d गतबुद्धिविचेतनः III. 61.28b गतमन्युगतज्वरः I. 74.22b गतं पारं समुद्रस्य V. 12.9c गतविद्यु(लाहकम् IV. 29.Ib , IV. 30.50 गतवीर्यः प्लवङ्गमाः IV. 58.12b गतं वक्ष्यन्ति संगता: V. 12.7b गतः शक्रेण सालोक्यम् III. 66.7c गतश्च परमां गतिम् IV. 56.13f गतश्चाहो दिवं राजा II. II5.3a गतश्चैत्यं निकुम्भिलाम् VI. 81.24d गतश्रियं कृत्तकिरीटकूटम् VI. 50.139c गतश्रीर्वनगोचरा V. 20.26b गतसत्त्वमचेतनम् IV. II.47b गतः सत्त्वस्य संक्षेपः VI. I09.6c गतसत्त्वस्य संप्रति VI. 109.8b गतसत्त्वा इवाभवन् VII. I07.4d गतसत्त्वेव किंनरी II. I0.0b Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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