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________________ शोकाग्निभयसंभवम् VII. 24.4d शोकाग्निरतुलो महान् II. 24.8b शोकाग्निर्न चिरादिन IV. I.33b शोकादशक्नुवन्वक्तम् II. 19.27c शोकायस्वरमपि IV. 57.1a शोकानशनकर्शिताम् II. 92.20d शोकानुशोको हि परम्परायाः III, 63.3c शोकापनुदमात्मनः II. I.44b शोकाभितप्ता बहुधा विचिन्त्य V. 28.17a शोकाभिपन्नं समुदीर्गकामम् IV. 31.1b शोकाभिभूते रामे तु IV. 4.24a शोकाभ्यामभितप्यते II. 62.5d शोकायासाधिङ्गिणा II. 85.10d शोकार्णवपरिप्लुतम् II. 34.21d शोकार्ण वे संपरि प्लुवानम् VI. 73.3b शोकात श्वोदकं कृत्वा IV. 9.20a शोकार्तस्य पितुर्मम VI. 46.4b ,, प्रमत्तस्य VI. I0I.2IC ,, प्रवृत्तो मे I. 2.Ic शोकार्तस्यापि मे पम्पा IV. 1.6a शोकात तु वरारोहे III. 55.32a शोकार्तानामनाथानाम् III.71.23c शोकार्तानां तु देवानाम् I. 29.I7c , भवान्गतिः IV. 8.26b शोका थुकुशु|रम् VI. 45.270 शोकार्तेन निवेदितः IV. 8.40b शोकार्तेनास्य शकुनेः I. 2.16c शोकार्ते शरणं गतः IV. 4.24b शोकार्दितश्चापि ननाद भूयः II. 73.28c शोकाविष्टोऽदोऽब्रवीत् IV. 31.35b शोकाथुलुलितानना II. 65.18d शोकेन च समाकान्तः II. 62.20c , दुःखेन च पीडितायाः V. 32.rob , परमायस्तो VII. 99.4c ,, परिपूरितः V. 36.37b : शोकेन मदनेन च V. 15.49d , महता त्रस्ता IIl. 56.35a ,, महताविष्टः I. 19.21a ,, महताता V. 25.1gb मोहेन च पीज्यमानः III. 63.1b विपुलेन च II. 66.23b , समभिप्लुतम् II. 12.37d , समभिप्लुतः VI. 94.37d , संभ्रान्तशरीरभावा IV. 24 30b ,, स्यात्सहायता II. 57.30d शोकेनाकुलितात्मनाम् VII. 96.12d शोकेनाकुलितेन्द्रियः II. 97.rub शोकेनाभिपरिप्लुतः II. 82.9b शोकेनाभिप्रपन्नस्य IV. 7.13a शोकेनाभिप्रसुप्तं ते III. 66.18c शोकेनाभिप्लुतेन्द्रियः IV. 25.49d शोके निमग्नो वि ले तु रामः III. 63.2b शोकैबहुभिरावृतः II. 72.26d शोकै हुभिरावृताम् II. 75.9d शोकैः संक्लिष्ट वदनः II. 18.39c शोको नाशयते धैर्यम् II. 62.15a " , श्रुतम् II. 62.15b ,, , सर्वम् II. 62.150 शोकोपहतचितच II. 64.6a शोकोपहतचेनम् III. 60.17b शोकोपहतचेतनः II. 12.6b , 63.tb III. 62.ID IV. I.124b V. 12.25d शो कोपहतचेानाम् V. 30.8b शोकोपहतचेतसः II. 33.5d .. , 39.39d शोकोपहतचेताश्च II. 52.23a । शोकोपहतनिश्चेष्टा II. 47.Ic Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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