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शतशो विद्रुता दिशः IV. 3.1.20d शतसंख्यानि चान्यथा II. 52.57d शतसाहस्रमव्यग्रम् V. 4.23c शतदानामिव चारुमाला: V. 5.22d शतहदानां लोलत्वम् III. 13.6a शतं कोटिसहस्राणाम् VI. 28.33c ,, ऋतूनामाहृत्य II. 109.29a ,, खर्वमिहोच्यते VI. 28.36d ,, खर्वसहस्राणाम् VI. 28.37a ., च शातकुम्भानाम् II. 3.IHa ,, देवसुतोपमान् VII.79.13d , नानाविधायुधम् I. 55.5d ,, पद्ममिहोच्यते VI. 28.35d , पद्मसहस्राणाम् VI. 28.36a
परमभास्वरम् I. 21.15d , , ,57.15b ,, वर्षसहस्राणि VII. 56.28c
वानरपुङ्गवा: VI. 93.14b वापि त्वया सह II. 27.20d , वाहसहस्राणाम् VII. 9I.I9a ,, वृन्दमिहोच्यते VI. 28.34d ,, वृन्दसहस्राणाम् VI. 28.35a , शङ्कुसहस्राणाम् VI. 28.34a ,, शतसहस्राणाम् VI. 26.300
, 28.33a
" 41.5ia , शतसहस्त्राणि I. I7.30a
VI. 27.33a , शतं कुण्डलिनः III. 5.15c ., समधिकं तत्र VII. 60.7c " , ह्यहम् IV. 45.15d ,, समुद्रसाहस्रम् VI. 28.37c
, सहस्राण्यश्वानाम् II. 83.5a ,, स्तम्मेन वै पुनः V. 58.II8d शतादित्यमिवाभाति I. 43.21a
| शतानन्दमते स्थितः I. 68.13d शतानन्दवचः श्रुत्वा I. 65.30c शतानन्दश्च धर्मवित् VII. 96.46 शतानन्दस्य संनिधौ I.70.5b शतानन्दं च धार्मिकम् I. 73.20b
, पुरस्कृत्य I. 50.6c
, पुरोहितम् I. 70.Id शतानन्दो नृपात्म जो I. 51.3b , महातपाः I. 5I.Id
महातेजाः I. 51.12c शतानि वीगि गत्वाथ IV. 66.22a ,, नियुतानि च IV. 21.6b
, , V. 51.13b ,, सप्त चाप्टौ च VI. 67.6a " , , , ,, ,, 9sa , सरयूजलम् VII. II0.2.1d शतान्यथ सहस्राणि IV. 37.13a शतान्यहं योजनानाम् V. 2.42 शतार्थ पर्युपासते VI. 2.30b शतेन परिवारितः VI. 26.12b ,, रक्षसां नित्यम् VI. 39.23c शतेनेकेन कर्णिना III. 26.31b शतैः शतसहस्रैश्च IV. 38.30a ,, ,, V. 43.240 ,, , VI. 4.24a शत्रवस्तव सुव्यक्तम् III. 41.4a शत्रवो नाभिमन्यन्ते II. 88.25c शत्रुघाती च वै दिशम् VII. I08. Iob शत्रुघ्नकरधारितम् VII. 69.30d शत्रुघ्नभयसंत्रस्ता II. 78.20c शत्रुघ्नभरतावुभौ I. 72.IId , II. 77.20b
, II5.gb शत्रुघ्नभरतो तथा II. 46.5d
" , VII. 50.12b
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