________________
१०९१
वीर्यवानतिधार्मिकः I. 70.2b
, VII. 65.10d वीर्यवाननसूयकः II. I.9b वीर्यवानवलोकयन् III. 35.11b गीर्यवानस्त्रविच्छूरः VI. 58.4e वीर्यवान्गोष्पदे हतः VI. 32.28d वीर्यवान च वीर्येण II. I.I3c वीर्यवान्प्रहसनिव V. I.125d वीर्यवान्बुद्धिसंपनः IV. 66.18c वीर्यवान्मारुतात्मजः V. 3.39d वीर्यवान्हरिवाहन: VI. 90.67d वीर्यविक्रमहप्तानाम् VI. 27.29a वीर्यशुल्का ममात्मजा I. 68.7b
, महात्मने I. 68.Iob वीर्यशुल्कां मम सुताम् I. 71.21c वीर्यशुल्केति कौशिक I. 67.23b
, भगवन् I. 66.17a
,, मे कन्या I. 66.15a वीर्यश्रेष्ठेमहाबलै: I. 69.12b वीर्यश्लाघी महोदरः VI. 97.31b वीर्यलाध्यमहं तव I. 75.4d वीर्यसंदेहमागताः I. 66.21b वीर्यस्यैष परायणम् I. 65.29d वीर्यहीनमिवाशक्तम् I. 76.3a वीर्य गात्रेषु मेऽनघ VI. 67.149b
, चास्या गतिं चैव I. 26.12c ,, जिज्ञासवस्तदा I. 66.18b ,, ते श्रूयतेऽद्भुतम् I. 75.1b ,, प्रहरणानि च VI. 25.7b ,, भीमपराक्रम VI. 62.21b ,, सर्वानुकूलताम् I. 3. Iob वीर्याणि च निशाचराः VI. 9.12b वीर्याण्य भिजनानि च VI. 66.5b वीर्यादभिहता वृक्षः VI. 82.16a वीर्यादावर्जितं भद्रे III. 48.6c
वीर्ये चापि शचीपतेः II. I.32d वीर्येण तपसा चैव VII. 17.23c
, , , , 74.12c वीर्येणान्यत्करोति वा VI. 6.18b वीर्ये युद्धे च दर्षे च III. 36.16a
, साक्षाच्छचीपतेः II. 2.30d वीर्योत्सित्तस्य शूरस्य V. 23.IIC वीर्योतिसक्ता हि राक्षसाः I. 20.15b वीर्योसिक्तेन रक्षसा VI. II8.7b वीर्योत्सितो दुरासदः VI. 7.8b वीर्योत्सित्तौ हि तो पापो I. Ig. I2c वीर्योत्सेकान्निरस्तस्य IV. 11.66c वीर्योद्रेकेण बाधते I. 15.23b वीर्योपपन्नेन गुणेन लब्धाः V. 9.70b वृक्णपात्रैः समावृताम् II. II4.15b वृषणभूमितलां निम्नाम् II. II4.15a वृक्षखण्डगतं कपिम् V. 14.12b वृक्षखण्डमितो भाति I. 28.17c वृक्षखण्डाद्विनिःसृतः III. 44.12b वृक्षखण्डांश्च विविधान् IV. 48.3c वृक्षगुल्मलताः पश्य IV. I.26c वृक्षभङ्गस्वनेन च V. 42.1b वृक्षभङ्ग तथैव च I. 3.32b वृक्षमिक्ष्वाकुनन्दनः II. 50.31b वृक्षमुत्पाट्य वीर्यवान् VI. 58.39d वृक्षमुत्पाटयामास VI. 70.5c वृक्षमुद्यम्य वीर्यवान् VI. 53.28b
,, , VII. 69.12b वृक्षमूलगतं रामम् II. 50.32c वृक्षमूलमुपाश्रितः II. 42.16b
, 58.5b
___ IV. 60.13b वृक्षमूलमुपाश्रिताः IV. 49.20d
, 52.9d वृक्षमूले निरानन्दाम् VI. II3.4a
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org