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विस्वररान्विविधान्नादान् III. 23.5c विहगः प्रतिहारकः IV. I.56b विहगा जलचारिणः III. 16.22b विहगाः कालचोदिताः VI. 35.31b विहगेन्द्रालयं शुभम् VI. I25.21b विहगैरभिनादिताम् V. 14.5b विहंग इव सारङ्गः IV. 30.13c विहगसङ्घहीनास्ते V. 14.17a विहंगाभिरुतानि च VI. 39.10d विहंगैगरुडोपमः VII. 6.48d विहंगैगसङ्घश्च V. 14.6a विहतामिव च श्रद्धाम् V. 15.33c विहताशा निरुद्यमाः V. 58.84b विहन्तु कलुषेन्द्रियः II. 75.54b विहन्यमानमिच्छामि VII. I08.150 विहन्युः किं पुनःपिता II. 23.21d विहरत्वमयोध्यायाम् II. 108.9c विहरन्तमहोरात्रम् IV. 29.4c विहरन्ति महर्षयः III. 74.35b
,, महाबाहो III. 43.12c विहरन्नावबुध्यते IV. 30.78d
, ,, 33.45d विहर मया सह भीर काननानि V. 20.36d विहरस्व यथासुखम् III. 55.31b
, V. 24.4d , सलक्ष्मणः III.7.12d विहर्तुमत्यद्भुतरौद्रवृत्ताः V. 5.gd विहाय तन्द्रीं शोकं च IV. 49.5a ,, देहं मरुतामिवालयम V. 47.33d ,, निद्रा चिरसंनिरुद्धाम् IV. 28.38b ,, नृपतिश्रियम् II. 66.20d ,, न्यपतभूमौ V. 46.28c ,, पितरं रूपम् II. 35.33d ,, पुत्रं प्रियचारुवेषम् IV. 20.24d , मां गतो रामः II. 66.4a
। विहाय यातोऽसि चिरं प्रवासम् IV. 20.24b
,, लङ्कां सहिताः प्रतस्थिरे III. 54.20c ,, वसने शुभे II. 37.8b
, सूक्ष्मे II. 39.6c , शोकसंतप्ताम् II. 21.22c , ससुहृजनम् III. 49.14d , सीतां मदनेन मोहितः V. 22.46c
, , विजने III. 57.16a विहारदेशाननुसृत्य कांश्चित् III. 58.20b विहारमिव साधिता II. 60.13d विहारशयनासने II. 16.12b विहारशयनेषु च VI. II.I9d विहारशयनेष्विव II. 30.IId । विहारशीलाः सततम् VII. II.43a विहार समरप्रिय VII. 20.Ifd विहारसुखदो नित्यम् VI. 27.22c विहारा नाम यूथपाः VI. 26.35b विहारार्थं च धन्विनः III. 43.31)
विहितस्त्वं हि मे सुरैः V. 58.23d । विहितं बहिरन्तश्च VI. 12.5a ,, विश्वकर्मणा IV. 40.40d
42.44d विहिता वृक्षमूले तु IV. 58.3IC विहिताः कङ्कपत्रिण: IV. 59.26d
, शास्त्रदर्शनात् I. 14.4Id विहीतो नात्र संशयः V. 22.2Id विहीनतिलकेव स्त्री III. 16.8c . विहीनमिव तेजसा VI. I04.2d । विहीनस्याथ पित्रा च II. 73.2c विहीनं तेन धीमता II. 72.20b विहीना कामभोगैश्च VI. III.59a विहीना या त्वया राज्ञा II. 77.16c विहीनाया महात्मना V. 26.41b विहीनास्तेन च पुनः II. 47. IIC विहीनांपतिपुत्राभ्याम् II. 75.59c
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