SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 919
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विष्टनन्तं तु दुःखार्तम् VI. 101. Sc विष्टब्धं किमिदं कस्मात् VII. 16.4a विष्टब्धाः केचिदुत्थिताः VII. 28.40b विष्टम्भयित्वा बाणौधैः V. 36.35a विष्टम्भितस्तेन महाबलेन VI. 70.29d विष्टरासनयोग्यो हि II. 20.28c विष्टिकर्मान्तिकाः सर्वे II. 82.20a विष्टिताः प्रतिहारार्थम् VII. 1. 70 विधीरनेकसाहस्त्रीः VI. 127.6a विष्ठिता विस्मृता स्थिता II. 58.34d विष्ठिताश्च यथान्यायम् I. 35. IOC विष्ठितो विमलेऽम्बरे V. 46.30b विष्ठितोऽस्मि सरस्तीरे VII. 77.10a विष्णुचक्रकृतानि हि VII. 7.15b विष्णुचक्रनिपातैश्च III. 32.1oa विष्णुचक्र परिक्षतौ V. 10. 16d विष्णुचक्रं तथात्युग्रम् I. 27.5c तथैव च I. 56.1ob विष्णुतुल्यपराक्रमम् V. 51.42b विष्णुतुल्यपराक्रमान् I. 17.3d विष्णुत्वमुपजग्मिवान् VII. 85.18d 104 9d " " विष्णुना च पुरा राम I. 25.21a दैत्यघातश्च VII. 20.5a " द्राविताः कथम् VII. 4.6d 33 विष्णुना नास्मि चोदित : V. 50. 13d विष्णुना प्रभविष्णुना I. 45.43d VII. 6.22b " " " " ܕ ܕ "" "" " ور " " " " प्रोषितो वापि V. 50. Ioa वासवं यथा VI. 99.12b सदृशो वीर्ये I I. 18a सह वासवः VI. 33.28d 38.14d " " Jain Education International 7.22b 11.17d 23 १०८४ विष्णुनेव रणे हृतः VII. 14.22b विष्णुपादच्युतां दिव्याम् II. 50.24c विष्णुमिन्द्राज्ञया यथा I. 70.6d विष्णुमूचुरिहाश्रमे I. 29.6f विष्णुरभ्युद्यतायुधः VI. 59.125d विष्णुरित्यभिभाषसे VII. 17.23b विष्णुर्देवनमस्कृतः I. 29.2b विष्णुर्देवानुवाचेदम् VII. 85.3c विष्णुर्मानुषविग्रहः VII. 30.42d विष्णुर्यथा गरुत्मन्तम् VI. 59.123a विष्णुर्यथैवोरुबलं चमूमुखे VI. 56.38d विष्णुस्तेजोमयं शरम् VII. 69.27d विष्णुस्त्रिदशपुङ्गवः I. 15.26d विष्णुस्त्रिभिरिव क्रमैः V. 21.28d विष्णुस्त्रीविक्रमानिव IV. 66.37d विष्णुस्त्वं हि सनातनः VII. 17.34d विष्णुं त्रिभुवनेशानम् VII. 85.17 37.24d दैत्यवधे यथा V. रिपुकुलार्दनम् VII. 51.13d समुपसंक्रम्य VII. 84.11c किल सुरेश्वर VII. 17.12b 23 , 73 23 " " 33 در पुरुषविग्रहः VII. 53.20d प्रतिनिवर्तते VII. 27.18b सत्यपराक्रमः VI. 111. 13d सन्यासमुत्तमम् I. 75.22b विष्णो कथं करिष्यामि VII. 27.7a " पुत्रत्वमागच्छ I. 15.21a विष्णोरतुलतेजसः II. 25.35b विष्णोर मीमांस्यभागम् VI. 59.110c विष्णोरर्धसमन्वितौ I. 18.14d विष्णोरर्धं महाभागम् I. 18.11a विष्णोरिव हि दृश्यते III. 30.32d विष्णोरिवो बलियज्ञवाटे VI. 73.7d विष्णोर्दत्तं सुरोत्तमैः I. 75.13b विष्णोर्द्वषस्य नास्त्येव VII. 6.43a For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy