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विशोधितजटः स्नातः VI. 128.15a विश्रब्धं प्रतिभाष्यताम् II. 57.31d विश्रब्धा भव वैदेहि VII. 42.35e विश्रम त्वं पृथुश्रोणि VII. 26.26a विश्रमार्थं महागजः I. 40.15h
हनुमतः VI. 123.1ga विश्रमेत यथा कपिः V. 1. 88b विश्रम्य किंचिद्धनुमान् VI. 101.3gc विश्रम्य पुनः प्रयान्ति IV. 28.22d विश्रवा मुनिपुंगव: VII. 3. 1b
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9.26b
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11.36b
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यत्र तप्यते VII. 9.14d
विश्राणयन्तो रत्नानि IV. 25.31a विश्रान्तस्य हनूमतः V. 1. 133b विश्रान्तः पश्य बलम् VI. 76.78d वो गमिष्यसि V. 39.2od
56.3d
68.3d
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विश्रान्तान्दरियूथपान् IV. 52.1b विश्रान्ताः प्रतरिष्यामः II. 83.23c विश्रान्तिमभिरोचये II. 2. 8d
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विश्रान्तोऽथ गमिष्यसि V. 1. 110b
विश्रामार्थं मुहुर्मुहुः VII. 57.16d विश्राम्यद्भिस्तपःसिद्धैः IV. 43.36c
विश्राव्य नामधेयं हि III. 53.6c विश्रुतस्त्रिषु लोकेषु I. 7.22a विश्रुतं रघुनन्दन III. 73.30b
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74.22b विश्रुतः सुखदः सुखी V. 31.4d
स्टेन कर्मणा I. 71.3b विश्रुतार्थमगायताम् I. 4.34b विश्रुता सरिदुत्तमाI 36.3d
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विश्रुताः पुरुषर्षभ V. 63.27b विश्वकर्मवचः श्रुत्वा VII. 5.28a विश्रकर्मसुतो वीरः VI. 30.33a विश्वकर्मा च दृष्ट्वेमम् VII. 36.1ga विश्वकर्माणमाह्वयत् II. girid विश्वकर्मा ततस्तेषाम् VII. 5.21C विश्वकर्मात्मजो वली VI. 22.6gb विश्वकर्मा त्वजनयन् I. 17.120 बभूव ह IV. 51. Ird विश्वस्तमृगशार्दूल: III. 75.3c विश्वस्तः स महाकपिः I. 1.67b विश्वस्तानामविश्वस्ताः IV. 2.22c विश्वस्ता रावणस्त्रियः V. 11.41b विश्वस्ते त्वयि चानघ VI. 17.28d मयि वाऽनघ VI. 18.18d विश्वस्तैर्मृगपोतकैः III. 61.5b विश्वस्तौ तौ प्रचक्रतुः V. 34.7d विश्वामित्र कथां शुभाम् I. 45.4d विश्वामित्रकृतेन च I. 76.6b विश्वामित्रगतं रामम्
22.4c
विश्वामित्र पुरस्कृतैः I. 68.8b विश्वामित्रबलं राम I. 53.5c विश्वामित्रमथाब्रवीत्
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51.3d विश्वामित्रमथाब्रुवन् I. 24.2d
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विश्वामित्रमनुप्राप्तम् I. 50.6a विश्वामित्रमपूजयन् I. 29.26d विश्वामित्रमरिंदमम् I. 30.6d
विश्वामित्रमवन्दताम् I. 29.32d विश्वामित्र महायशः I. 34.21b
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