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________________ वारिजैर्विविधैः पुष्पैः VI. 4. 85c वारिणो भिद्यमानस्य I. 24.7a वारिणोर्वारिधर्षजः II. 54.6d वारितं दानमुत्तमम् VI. 32.30b वनपालकैः V. 63.7b वारितान्राक्षसान्दृष्वा VI. 79.9a वारिधारा इवाग्रेभ्यः VII. 19.21c वारिवेगेन महता VI. 128.4a वारिसंक्षोभजो रामः I. 24.11a चारि संताप संभवम् II. 30.2.4b वारि स्तोकमिवातपः II. 64.68b सवतिशोकजम् V. 33.4b वारुणं चैव रौद्रं च I. 56.6a " तद्बलं सर्वम् VII. 23.31C ,” परमाद्भुतम् VI. 90.56b पाशमस्त्रं च 1. 27.9a पाशमेव च 1. 56.8d वारुणीग्रहणात्सुराः I. 45.38d वारुणीमदगन्धश्व II. 114.20a " در د. वारुणी रघुनन्दन I. 45.36b वार्तायां सांप्रतं तात II. 100.47C वार्यां साधु वानराः VI. 20. 18b वार्यमाणस्ततः स्त्रीभिः IV. 9.7c वार्यमाणः सुबहुशः I. 1. 50c " सुसंक्रुद्धः VI. 92.42a वार्यमाणामिव क्रुद्धाम् V. 14.300 वार्यमाणाः सुबहुशः VI. 110.2a वार्यमाणोऽपि तारया IV. 18.57 d वार्यमाणौ न चेच्छतः II. 34.23d वार्याफलकपर्यन्ताम् I. 70.3a वार्यामि त्वां निरीक्षन्ती IV. 23.17a वार्योधा इव सागरात् VII. 7.18b वार्षिक्यं समुवास छ VII. 51.2d वालखिल्या महर्षयः IV. 40.60b वालखिल्याश्च तापसाः IV. 43.32b Jain Education International १०४५ वालखिल्यैर्मरीचिपैः III. 35.15d वालधेरभिमर्शनम् II. 61.1gd वालव्यजनमुत्तमम् II. 15.1ob वालव्यजनहस्तया V. 16.1ob वालव्यजनहस्ताभिः V. 10.5a " » 49.10c वालव्यजनहस्ताश्च V. 18. IIC वालिकिल्बिषशङ्कितम् IV. 2.13b वालिजेन तु दुःखेन V.3.28 वालिनश्च तथा वधम् IV. 56.15d V. 35.6od " बलं तत्र I. 1.63a भयात्तस्य IV. 10.30a वधं तथा V. 55.22d VI. 51.30b " रणे VI. 125.8d " "" वालिनं कुरोपमम् IV. 20.2d गतजीवितम् IV. 25.2gb हृतं श्रुत्वा VI. 17.66c चाहयद्रणे IV. 9.5d ވ " "" "" 3: " " " " जहि काकुत्स्थ IV. 12. 1IC तं वधिष्यामि IV. 5.26b द्रक्ष्यसे तत्र VII. 34. IOC ननिहन्मीति IV. 12.270 निहतं मन्ये IV. II. 7IC निहते रणे IV. 14.14b 33 " " " "" " . "" 39 " " " 23 ,, 22 " प्रति सामर्षः IV. 16.28a प्रियवादिनी IV. 16.rrb भ्रातृगन्धिनम् IV. 12. 13d मेघसंकाशम् VI. 94.17b राक्षसोत्तमा: VII. 34.25b वापि राघवः IV. 12. 200 व्यक्तदर्शनम् IV. 18.59b समरे हत्वा VI. 126.38c मालिनम् IV. 16.18 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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