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________________ लभते मनुजो लोके VI. 128.107a स्वर्गमुत्तमम् II. 24.26d लभ मां प्राप्य मैथिलि V. 20. Iod "" लभते कश्चिद्गुरुदुः खकर्शितः II. 20.53b लम्बकर्णललाटां च V. 17.7a लम्बकर्णीमकर्णिकाम् V. 22.33d लम्बते रविमण्डलम् I. 65.36d लम्बतोयदसंनिभे V. 3. 1b लम्बन्ते स्म पुन: पुन: IV. 40.42d लम्बमानपयोधरा V. 24.28b लम्बामानमधोमुखम् VII. 75.14d लम्बमानं दशग्रीवम् VII. 34.170 लम्बमानानि लक्ष्मण II. 56.8b वानराः VI. 4. 88d लम्बमानास्तदुन्मुखाः II. 40.21b लम्बमाने दिवाकरे I. 31. Igd II. 54.8b " " III. 11.5b लम्बाभरणशोभिता VII. 36.3b लम्बास्यो लम्बजानुकाम् V. 17.7d लम्बे माला रुचिराम्बरस्य IV. 28.23d लम्बोदरपयोधराम् V. 17.7b लम्बोदरीं ती गर्दष्टाम् III. 69. 12c लम्बोष्ठीं चिकोष्ठ च V. 17.70 ललतां बान्धवस्तव V. 20.24d लव मयि विब्धा V. 20.24a ललाटदेशेऽभ्यहनत् VII. 7.38c ललाटस्थेन दीप्यता III. 69.2gb ललाटे च त्रस्तथा IV. 3.30b ललाटे च रुजो जाता III. 22.ra " " " 23 " " " परमास्त्रेण VI. 99.39c प्रत्यमुञ्चत VI. 93.34d ललाटेऽभिजघान ह VI. 70. 1gb afeafaf: III. 27.11b पत्रिभिस्त्रिभिः VI. 102.68d Jain Education International १००२ ललाटे भ्रुकुटिं कृत्वा III. 48.1c ,, भ्रुकुटीभिश्व VI. 92.18a मुसलेन सः VI. 58.4gb राक्षस श्रेष्टम् VI. 71.720 " " "" लक्ष्मणं बाणै: VI. 90.320 ललाटेऽस्मि परिक्षतः III. 27.12d ललाटोवासनासिकाः V. 17.12d ललामभूतो लङ्कायाः V. 58.1rga लवणस्तु मधोः पुत्रः VII. 64.8c लवणस्य दुरात्मनः VII. 67.24d महोरसि VII. 69.34b यथाबलम् VII 67. 1d वधाश्रितम् VII. 71.6b लवणस्यागमत्करम् VII. 67.21d लवणं घोरदर्शनम् VII. 69.3b 37 " رو निघ्नता त्वया VII. 71.6d पापनिश्चयम् VII. 62.1gd राक्षसोत्तमम् VII. 69. 2gb लवणः क्रोधमूर्च्छितः VII. 69.8b क्रोधसंयुक्तः Vil. 69.33a " क्व च वर्तते VII. 62. 1d स निशाचरः VII. 69.36b लवणाद्भयपीडितान् VII. 61.23f लवणाम्भ इवोल्बणम् III. 22.2d लवणेन कृतं महत् VII. 70. 12b महाबाहो VII. 71.7C लवणो नाम दारुणः VII. 61.17b " राक्षसः VII. 67.13b रघुशार्दूलम् VII. Cg.2c वृधे यथा VII. 62.2d "" लवं चैव तु स द्विजः VII. 66.6b लवेति च स नामतः VII. 66.8d लवेन सुसमाहित: VII. 66.8b लाक्षया मधुमांसेन II. 75.38a लाक्षारससवर्ण च VI. 70.16 " " " " " در For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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