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लक्ष्मणस्य तु तद्वाक्यम् VII. 53.1a
" , , , 85.la ,, , धर्मास्मा VI. 50.13c
स्वमानय VI. I0I.32b ददौ नस्त: VI. I01.43c न्यवेदयन् IV. 31.2 Id परित्यागम् VII. I08.3a प्रचिच्छेद VI. 99.200 प्रसादनात् IV. 32.17d भयेनेह IV. 55.6a ममज सा VI. 100.34d महात्मनः II. 21.20b
, , 86.1b महाद्युतिः III. 15.8b
महाबल: IV. 13.3d , महोरसि VI. I00.35b लक्ष्मणस्यर्षिभिदृष्टम् II. II6.6c लक्ष्मणस्य वचः श्रुत्वा III. 64.5c
" , IV. 25.20a " , , , 31.35a , , , VI. 71.64c
" , VII. 48.1a , , , 105.Ioa ,, स्मरन् III. 44.22d वशं गतः VI. 92.7b विपर्ययः III. 23.22d श्रुतं त्वया II. 21.21b
समीपतः IV. 31.40d , सुभाषितम् IV. 38.4d ,, हि तद्वाक्यम् IV. 27.41a लक्ष्मणस्याग्रज शुरम IV.8.Ic लक्ष्मणस्याग्रजेन ते III. 26.37d लक्ष्मणस्याग्रतो रामम् IV. II.86c
" , VI. 17.18c , लक्ष्म्या IV. 8.roc
लक्ष्मणस्याङ्कमाश्रितम् VI. 84.4d लक्ष्मणस्यात्मनश्चैव H. 52.6ga लक्ष्मणस्योपशृण्वतः VI. 122.3b लक्ष्मण कीर्तिवर्धनम् VI. 91.9b , कीर्तिसंपन्नम् VI. 85.20c , कुपितं श्रुत्वा IV. 32.Ic , क्रोधमूछितम् II. 99.1b
च धनुष्पाणिम् V. 39.48c , , धनुष्मन्तम् V. 18.25c
,निशाचरा: VI. 78.IIb , परिष्वज्य VI. II9.26c " पुनः पुनः IV. 26.40b , महाबलम् II. 43.20d " , , 76.6d
,79.2d
IV. 8.11b , , 17.14b
, 64.18b
, V.65.Id " , , VI. 48.1b
महाबाहुम् II. 72.38c
, V.67.350 ,, महारथम् III. 39.8b , , V. 34.37d " , VI. 48.20b " , , 50.2d ,, महावीर्यम् VI. 29.1c
, मुहुर्मुहुः VII. 48.25d , , विनेदुषी I. 26.25b
,, सराघवम् VI. 48.21d , सलक्षणम् V. 38.6gd चानुजानीहि II. 34.23a. चापि राघवः II. 8.31b चाभिधास्यति III. 36.19d चाभ्यपूजयन् VI. 89.47d
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