________________
मां नयेद्यदि काकुत्स्थः V. 39-39c
56.12€
68.14c
"
22
न शोचेत्तथा कुरु II. 52.22d
"
हन्तुं त्वमर्हसि III. 67.20d नियोजयविकान्तम् III. 27.2a निर्दहति संतापः IV. 63.c निवर्तयितुं येोऽयाँ VI. 121.1ya
निहत्य किल त्वां हि VI. 63.40a
"
""
39
""
""
در
ور
"
"
"
"
15
"
رد
27
او
"
"
..
31
"
भजस्व चिरायत्यम III. 49.12a दु:खितम् III. 6.14d मन्मथनिकर्शितम् IV. 1. 111b मोदयति त्मा VI. 34.8c योगच्छसि VI. 71.51d रक्षन्ति समन्तत: IV. S. 37b
राघव न पश्यसि III. 49.25d
तु रूपं वचः VI 29.11b
"
वा गृह्णीयुरावृत्य V. 30.20a वासयितुमीश्वरः II. 101.20d aleteasca V. 37.55a विद्धि जनकात्मजा II. 40.gb
विसृज्य महातेजाः VI. 30.120
विहाय तपस्विनीम् VI. 32.16b
निषेव से IV. 20.6d
"
"
")
"
22
">
"
"
"
तु रामोस III. 41.17a नेन्यस्यभिभाषितुम् VI. 111.85b
"
पुनर्दण्डकारणम् II. 20.30c पुनर्मृगशावादया IV. 1.1ora
पुरस्कृत्य निर्याता: IV. 53. IIc
23
प्रतीस्य समुत्सुकः VII. 26.36d
प्रधृष्य स ते कालः III. 56.17a
पशस्याभ्यनुज्ञाप्य IV. 63.1c प्राप्य हि कथं वा स्या: V. 20. 1:C गुणो दोप: III. 64.56a
पार्थयितुमिच्छति V. 20.gd
39
د.
21
Jain Education International
८४५
मां ब्रीडयति दारुण: VI. 68.220
"
स नित्यमनुव्रतः VI. 101.13b मांसभक्षाः सुदारुणाः VII. 100.23b मांसभक्षो महामृग: III. 39.3d मांसभूतादनेन च II. 52.8gb मांसमादाय राघव: III. 44.27b
मां समानय दुःखिताम् V. 21. 18b
समाह्वयत क्रुद्धः IV. 1. 14a
समां सुखदुःखयोः II. 29.2ob
"
23
समीक्ष्य समायान्तम् IV. 28.56c मांसमुत्कृत्य संगताः III. 1g.rob मांसमूलफलाशनाः II. 84.7d मतियथासुखम् V. 27.3d मांसशोणितकर्दमम् III. 26.34d
VI. 123.4b
"3
"
मांसशेणितकर्दम: VI. 42.47b
”
69.69b मांसशोणितकर्दमाः VI. 23.12d
:)
23
41.21d मांसशोणितदिग्धाङ्गीः V. 17.17a मांसशोणितदूषितम् VI. 8. gd मांसशोणित फेनिलाम् VI. 70.51b मांसशोणितभक्ष्याणाम् VI. 19.150 मांसशोणितभक्ष्याभिः V. 58.5ga मांसशोणितभोजनाः III. 56.27d
V. 17.17b VI. 57.34b
""
60.23b मांसशोणितसंक्ाम् VI. 67.37a मांसहेोरपि मृगान् III. 43.31a मांसं बहु सुपीवरम् VII. 77.16b मांसादान्मृगपक्षिणः III. 23.5d मांसानि च मृष्टानि VI. 39.26c
42.19c
33
"
"
33
ار
"2
"
د.
सुमेध्यानि II. 91. 520
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org