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________________ मार्गशोधकदक्षकाः II. 82.20b मार्गस्वविषयं स्वकम् VII. 74.31d मार्ग निरोद्धं सततम् III. 11.85a रामनिषेवितम् II. 35.12b " मार्गः सत्पुरुषैर्जुष्टः VI. 66.23c संलक्ष्यते त्वया V. 58. 148d मार्गा दुःखमतो वनम् II. 28.1od मार्गानुगः शैलवनानुसारी IV. 28.32a मार्गच भृशदुर्गमान् IV. 28.60b मार्गिणो वृक्षक्षकाः II. 80.2d मार्गितव्यस्ततस्तत: IV. 40.34d 62d 65d 42.29d 32d 47d ور " " در "" 33 33 " "" 32 Jain Education International 33 رو " رو " » 43.13d 18d 24d "" 33 मार्गितव्या च जानकी IV. 42.24b दरीमन्त: IV. 40.35c विशेषतः IV. 41.24d " मार्गितच्यो महागिरिः: IV. 41.14b मार्गितुं दक्षिणां दिशम् IV. 49.21d मार्गित्वा दक्षिण दिशम् IV. 50.7b "" 33 14d पश्चिमां दिशम् IV. 42.10b 22 मार्गी तनुं त्यज्य च विक्लवस्वर : III. 59.26c मार्गेण क्लान्तचेतसः II. 47.15b मार्गे मम सह त्वया II. 30.12d मार्गों गच्छति दुर्धर्षः VII. 20.21 मार्जारसदृशेक्षणा V. 23.1ob मार्जारा द्वीपभिः सार्धम् VI. 35.30 माजराविव भक्षार्थे VI. 40.22c मार्जारेण यथा सर्वाः VII. 7.21c د. " " ގވ " "" "> 33 ८४२ मार्जारैश्च निषेवितम् IV. 27.3b मार्तण्डस्त्वब्रवीत्तत्र VII. 36.13a मार्दवावयोर्वापि II. 52.170 मालती कुन्दगुल्मैच III. 75.24a IV. 27.10a मालतीमहिकापद्म IV. 1. 760 मालया च स चित्रया VI. 77.5d मालयेव बलाकानाम् IV. 12.41c मालवान्काशिकोसलान् IV. 40.22d माला ग्रहणामिव चन्द्रसूर्यौ III. 23.31 d मालादामभिरासत II. 33.20 मालाभिरित्र शोभिताम् II. 50.20b मालमुत्क्षिप्य काघनीम् IV. 11.3gb मालां कुब्जे हिरण्मयीम् II. 9.47d ज्वलन्तीं वपा VI. 128.6gc तां चैव काचनम् IV. 22.18d ار " मालिनं निहतं वा VII. 7.45a प्रति वाणान् VII. 7.340 "3 " "" fagar VII. 7.36a मालिनः शिशिरात्यये II. 56.cd मालिना गरडेन वै VII. 7.40b " "3 गरुडो भृशम् VII. 7.3gb मालिनुकैः सहस्रशः VII. 7.33b मालिमौलि ध्वजं चापम् VII. 7.36 मालिं च बलिनां वरम् VII. 5.6b माली च सुमहाबल: VII. 6.5gd " चाभ्यद्रवद्युक्तः VII. 7.31e नक्तंचरोत्तमः VII. 7.37b मालेयास्ते निशाचराः VII. 5.43d मालेर्धनुश्चयुता बाणाः VII. 7.32a मात्र प्रथिता सूत्रे V. 9. 630 " परिमार्जिता V. 10.46d मालेकं जिघांसया VII. 7.42b मालेस्तु वसुदा नाम VII. 5.41a मालेः शीर्षमपातयत् VII. 7.43b For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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