SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 657
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महदस्ति न संशयः VII. 73.1ob महदस्त्रबलं च वै VI. 72.10b महदस्त्रं दशाननः VII. 15.32d महादासीत्ततस्तेषाम् VII. 23.34a महदुत्पन्नमाख्यानम् I. 5.3c महदैश्वर्यमश्नुते VI. 35.8d महचिरसायकम् V. 44.3b महद्गृध्रकुलं चास्य VI. 106. 22a महद्दःखं प्रपन्नाया ७ 32.10a भविष्यति VII. 56.8b महद्धनुरवस्थितः VI. 89.3b महद्धनुः सज्जमुपोह्य लक्ष्मणः II. 87.23c महद्धरण्या विवरम् IV. 51.3a महद्बलपरीवारा V. 45.2a महद्भयमजायत VI. 86. 13d महद्भिरिव पादपैः VI. 7.16d महद्भिरुच्छ्रितः शृङ्गैः IV. 67.42a महद्भिर्गृहपङ्क्तिमि: VI. 3. 16d महद्भिर्धर्मसंश्रितैः IV. 18.28b महद्भिर्व्यसनैरृतम् VII. 20.9b महद्भिश्चाथ पङ्कजैः IV. 50.2gd महद्भिः काञ्चनैर्वृक्षैः IV. 50.2ga कूटमुद्गरैः VI. 95.25d सुसमाकृता IV. 58.21b " " महद्भयामिव संस्पृष्टौ VI. 4.42a महद्वनं तत्प्रविगाहमाना II. 92.40c "" नैव तु रामलक्ष्मणौ III. 46.38d विप्रवरस्य रम्यम् II. 89.23d महद्वयलीकं मनसो महात्मन: V. 41.21b महद्वयसनदं मम IV. 6.25b महद्वयसनमात्मन: III. 52.3b महद्विमानं मणिरत्नचित्रितम् V. 8.1b महद्विष्णुकृतं भयम् VII. 11.5d महन्महाम्भोधरजालमुग्रम् VI. 6r. 39d महन्मे गुणदर्शनम् V. 48.44b "" " Jain Education International ८२२ महर्षय इवामलाः I. 6. gd महर्षयश्चक्रचराश्च सिद्धा: V. 48.23b महर्षयो देवगणाश्च नेदु: VI. 69.65d महर्षयो धर्मतपोभिरामाः IV. 33.57a भूतगणा: सुरोरगाः II. 25.43b वेदविद: VII. 1. 16c 23 महर्षिकल्पेन च संस्कृतस्तदा III. 68.37C महर्षि कल्पैर्ऋषिभिश्च केवलैः I. 5.23d महर्षि कल्पो राजर्षिः I. 6.2c महर्षिगणगन्धर्व V. 1. 167a महर्षितनयाश्च याः VII. 24.6b महर्षिपुत्रं मारीचम् IV. 42.3a महर्षिभिश्चक्रचरैः समागतैः V. 47.37C महर्षिमपराजितम् I. 51.13d महर्षिमभिवाद्य च VII. 65.39d महर्षिमभिवाद्याथ II. 55. IC महर्षिमिदमब्रवीत् VII. 36.52d महर्षिमिव राघवम् II. 99. 13d महर्षि यक्षगन्धर्व - V. 56.36a महाते पथि सुव्यवस्थिताः II. 60.22b महर्षिर्मानसः सुतः V. 23.7b 22 महर्षि वसिष्ठस्तु III. 66.8a महर्षिर्लोकविश्रुतः 7.16b महर्षिवचनौजसा VII. 34.35b महर्षिविहितेन च IV. 26.34d VI. 111.117b " 33 महर्षिशब्दं लभताम् I. 63.17a महर्षिषु महात्मसु VII. 99.2b महर्षिसमतेजसः I. 15.20b महर्षिसमतेजसा I. 44.1ob महर्षिसमतेजसि II. 12.31d महर्षिसेवितः पुण्यः II. 54.28c महर्षिस्तमनादृत्य IV. 11.63a महर्षिस्त्ववदेवम् IV. 62.15e महर्षि कार्यविस्तरम् VII. 100.8d " For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy