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________________ भगवन्ब्रह्मलोकोऽयम् VII. 78.12c भगवन्भगवद्भयात् II. 9I.6d भगवन्मम वंशस्य VII. 6I.IIa भगवन्राक्षसः करः VII. 31.2a भगवनरामपत्नी सा VII. 66.33a भगवनरामलक्ष्मणौ II. 54.13d भगवॅलब्धवानस्मि VII. 3.22c भगवॅलोकपालत्वम् VII. 3.15c भगवन्वस्तुमिच्छामि VII. 65.4a भगवन्त्रणयुक्तत्वात् IV. 61.2a भगवंश्चापहस्तोऽहम् II. 64.14a भगवन्साधु पश्येस्त्वम् VII. 49.4a भगवंस्तद्वनं घोरम् VII. 79.2a भगवंस्तनया मे त्वम् VII. 2.25a भगवंस्तस्य को देशः I. 28.21c भगवंस्त्वत्प्रसादेन I. 15.6a भगवन्स्वागतं तेऽस्तु I. 16.17c भगवानपि मन्यते II. 90.15b भगवानपि विश्वात्मा V. 13.61c भगवानाह भार्गव: I. 61.17d भगवानिदमब्रवीत् IV. 62.Id भगवानिव संकुद्धः VI. 75.36c भगवान्भूतभावनः VII. 7.34b भगवान्वै पितामहः I. 40. Ib भगवांस्तत्र विश्वात्मा IV. 43.55a भगवांस्तद्ब्रवीतु मे VI. II7.IId भगवांस्तिमिरापहः VII. 36.13b भगवान्स्वागतं तेऽस्तु I. 66.3a भगिनीं क्रोधसंतप्तः III. I9.IC ,, च समाश्वास्य VII. 25.Ic ,, तत्र दृष्ट वान् VII. 25.39b भगिनी मे विरूपिता III. 36.13b ,, राममासाद्य III. 17.6c ,, रावणस्य सा VII. 24.25b भगिन्या क्रोशमानया VII. 24:31d भगिन्या मम राक्षसाः III. I0.21b भगिन्यामिव वर्तते II. 73.Iod भगिन्याः समचिन्तयत् VII. 12.1d भगिन्यां स्नेहसंयुक्तः I. 34.10c भगिन्यौ सहिते हि ते VII. II.I4d भगीरथं महात्मानम् I. 42.150 भगीरथ महारथ I. 42.22b ,, महाराज I. 42.16a भगीरथरथं तदा I. 43.14b भगीरथरथानुगा I. 43.30b भगीरथरथानुगाः I. 43.32d भगीरथस्तु राजर्षिः I. 42.ITa " " ,44.I7a भगीरथात्ककुत्स्थश्च I. 70.30a , II. II0.28a भगीरथोऽपि राजर्षिः I. 43.14c " " ,,,, 40c भगीरथो महाबाहुः I. 42.I7c ,, हि राजर्षिः I. 43.300 भगो यत्र प्रजापतिः I. 72.13d भग्न एष न संशयः VI. 88.40d | भग्नं काकुत्स्थ यत्वया I. 75.12d भग्नगोपुरतोरणा V. 27.31d भन्नझङ्घो विचेष्टसे III. 70.16d भग्नदण्ड मिदं सौम्य III. 64.46a भनदर्पस्तदा राजा VI. 60.1c | भन्मदर्पाः सुराः कृताः VII. 29.34d भग्नंदष्ट्र इवोरगः I. 55.9b भग्नं दृष्ट्वा महाहवे VI. 76.42b भग्नदेहाश्च राक्षसाः VI. 53.24b भग्नद्रुमशिलातले VI. 74.39b | भग्नं धनुश्च तूणी च [II. 64.38a भमनीडध्वजच्छत्रैः V. 45.15c भन्नमादाय वेगेन III. 35:32a भग्नमानाः पराजिता: VI. 56.33b Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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