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कुर वस्तूत्तर। इव III. 73.7b
कुरुष्व कार्याणि हितानि विज्वर: VI. 12.40b कुरु कर्म मदुष्करम VI. 62.19b
कृत्यानि विनीय दुःखम् VI. 63.56b ,, कल्याण मत्यर्थम् III. 71.26a
नः स्वस्त्ययनानि देवि II. 21.62b ,, कल्याणमुनमम् I. -9.9d
पितरं पुत्र IV. 20.18a . VI. 34-3id
,, प्रत्यनन्तरम् IV. I5.27b ,, कार्य निरव्ययम् II. 22.4d
मम पुत्रके I. 20.21b ,, कार्यमनन्तरम् II. 15.23b
,, मम शासनम् I. 64.5d ,, गात्रेषु भूषणम् V. 20.11b
,, मामनु चरन् II. 31.24d ,, च वचो मम शीघ्रमद्य वीर VI. I0I.55d मा वानरवीर हर्षिताम् V. 37.18d ,, चारुमुखेक्षणे II. 13.231
मे प्रिय हितमेतदुत्तमम् VI. 62.22a ,, तं कामभहीननिक्रम VII. 61.24d
यदि रोचते II. 21.21d कुरु तत्कर्म येनाहम् VI. 88.28c
,. रघुनन्दन VII. 74.0b कुरुतां तो रणाजिरे VI. 79.26d
राजन्प्रतिशापितो मया IV. II.02d कुरुते नृपतेः सुतः V. 36.16d
राजशार्दूल I. 19.30 ., पुरुषोत्तमः V. 36.15d
वचनं मम II. 32.31b कुरु त्वमस्य सुग्रीव IV. 25.13a
, , ,, III. 69.22b कुरु त्वमृषिसत्तम I. 2.32b
, , VI. 9.20b ,, देवहितं महत् VI. 102.7d
, ,, VII. 45.10b ,, निष्कण्टकं पुन: I. 24.31b
, ,, VII. 45.22d ,, नो याचनां पुत्र II. 37.10a
,, , VII. 53.3d ,, प्रणाम भत्मिन् IV. 13.25a
वेगं स्वबलानुरूपम् V. 48.9d ., प्रसादं धर्मश VI. I0.2.1c
सत्यं मम वानरेश्वर IV. 30.84a ,, बुद्धि महामते II. I08.Jb
सर्वायुधसायकव्ययम् VI. 87.30b ,, ,, सभामुखम् VI. 115.22d
., सलि क्रिया VI. 44.15b ,. भूत दिन शिनीम VII. 66.3d
., सलिलं राजन I. 44.70 ,, पत्ते अमं नत्वा III. 39.225
., सुसमाति: VH. 84.16b ,, गरम III. 20.34b
.. स्वामिनाथम् IV. 25a ,, .. मया सह JI OL. ITb
,, हितवादिन्या V. 24.326
कुरुवात्मसमें पुरे IT. I!.35 ,, राघव मग II. 2.22a
कुरुष्वामितविक्रम III. O.430 १. रामकथा पुण्याम् I.2.36a
,, VII.72.12b ,, लक्ष्मण कण्ठेऽस्य IV. 12.39c कुरुष्वावसथं सौम्य II 56.10c ,, ,, गदच: II. 97.27b
कुरुष्वाविमन : क्षिप्रम् VI. 12.5c कुरुषे पापदर्शिनी II. 35.27d
कुरु साधुपसादं मे II. 13.22a कुरुम्व करूणां मयि II. I06.31b । ,, संयानमुत्तमम् II. 76.2d
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