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प्रयाति सरयू नदीम् III. 16.20d प्रयातु चतुरङ्गिणी I. 77.3b प्रयातुमुपचकमुः VII. 30.50b प्रयाते तु महात्मनि I. 22.5d ,,, महारण्यम् II. 40.18a ,, ,, सहस्राक्षे III. 5.25a ,, त्रिदिवे तस्मिन् VII. 79.12a , वाहिनीपती VI. 57.29b , दक्षिणां दिशम् V. 27.2gb ,, दक्षिणामुखः III. 68.Iod
, मुनिशासनात् I. I3.31b प्रयात्वग्रे महाबल VII. I.I9d प्रयान्तं तु महाघोरम् VI. 51.30c
,, नैऋतपतिम् V. 18.18a प्रयान्तमुपवीक्ष्य सा II. 58.36d प्रयान्तं राघवं वनम् II. II.28d ,, लक्ष्मणं दृष्ट्वा VII. 44.6a ,, वाहिनीपतिः III. 27.1b प्रयान्ति दीना विमना मयूराः IV. 30.40d
, नरकं नराः VII. I06.3d प्रयान्तु कपिसिंहानाम् IV. 37.13c ,, तव सैनिकाः VII. 64.11b प्रयातो दक्षिणामुखः II. 69.15d प्रयाहि जानामि रणार्दितस्त्वम् VI. 59. Ifla प्रयाहीति च नाविकम् VII. 47.2d प्रयुक्तया गतिः शक्या VII. 25. IIC प्रयुक्ता मैथिली वाक्यम् III.59.9c प्रयुक्तो भरतेन वा III. 45.24d प्रयुञ्जीताशिषां कियाम् II. 55.7b प्रयुञ्जीयादिति प्रभुः I. 4.3d प्रयुज्याचारकोविदः VI. I0.IId प्रयुतं रक्षसामत्र VI. 3.26a प्रयुद्धं समरुद्गणैः VII. 28.37b प्रयुद्धस्तैश्च संग्रामे VII. 28.36c प्रयुद्धस्य समन्ततः VII. 27.23d
। प्रयुद्धौ घोरवपुषी IV. 16.25c प्रयुध्यतोरथ तयोः VII. 28.48a प्रयुयोजाशिषः शिवाः II. 32.IId प्रयोगेणाभिसंहितम् VI. I7.65d प्रयोजनं प्रवेशस्य IV. 2.26c प्ररुरोद महास्वनम् II. 19.27d
,, महास्वनः VII. 46.24d प्ररूढ इव सानुमान् VI. 56.27d प्ररूढगर्भाः प्रतिलब्धमानसः I. 16.32b प्ररूढाविव पर्वतौ VI. 88.74d प्ररोहान्कुसुमानि च IV. 26.25b प्रलपन्तं पुनः पुनः II. 12.38b प्रलपन्तमिवोर्मिमि: VI. 4.120d प्रलम्बकाञ्चीगुणहेमसूत्रा IV. 33.38b प्रलम्ब दशनच्छदैः V. 49.5d प्रलम्बस्योत्तरं प्रति II. 68.12b प्रलम्बान्दशनच्छदान् V. 24.15d प्रलम्बीकृतभूषण: IV. 12.6b प्रलापं चैव पम्पायाम् I. 3.22c प्रलीनभ्रमराणि च VI. 24.12b प्रलीनविहगानि च II. 59.9b प्रलोभनार्थं वैदेह्याः III. 42.21a प्रलोभयामास वधाय रावण: V. 19.22d प्रलोभयित्वा वैदेहीम् III. 40.18c
, ,, , 42.8a प्रलोभ्यमाना विविधम् VI. II8.9a प्रलोभ्य मां दूरमनुप्रयातम् III. 57.22b
,, विविधोपायैः I. I0.5c प्रलोलमिव सागरम् VI. 4.12Id प्रवक्तुमुपचक्रमे II. II8.Id
V. 65.2d प्रवक्ष्यामोऽद्य ताञ्छृणु II. 2.27d प्रवत्स्यति सुखं वने II. 36.8d प्रवदन्ति मनस्विनः VI. 6.5b
___ महास्वनाः VI. 41.20d
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