SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 495
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पीनोन्नतमुखौ कान्ती III. 46.20a पीनौ समसुजातांसों V. I0.17a पुच्छमास्फोटयामास V. 42.31c पुच्छस्योद्दीपनेन च V. 53.15d पुच्छानलयुतोऽनिलः V. 53.28d पुच्छेन च प्रदीप्तेन V. 58.158a पुच्छेनोवं विराजितः III. 42.18d पुण्डरीकनिभेक्षणम् II. 99.27b पुण्डरीकनिभेक्षणा: VII. 77.14b पुण्डरीकपलाशाभ्याम् V. 33.4c पुण्डरीकविशालाक्षः II. 87.2c पुण्डरीकविशालाक्षी IV. 30.10c पुण्डरीकविशालाक्षौ III. 19.14c पुण्डरीकाथ वामना II. 91.47b पुण्डरीकावतंसाभिः V. 4.25c पुण्ड्रांस्त्वङ्गास्तथैव च IV. 40.23b पुण्यं च रमणीयं च VII. 47.16a पुण्यनीता हिमारुणाः III. 16.12b पुण्यं पश्यतां भृशम् VI. I7.61d पुण्यः पुष्पितकाननः II. 3.4b पुण्यमिक्ष्वाकुसेवितम् VII. 37.13d पुण्ययोः सरितोर्मध्ये I. 23.16c पुण्यं राजर्षिवंशं त्वम् VI. 32.19c ,, वासाय स्वनिलयमुपसंपेदे II. II6.25d ,, वेदश्च सम्मितम् I. I.98b . पुण्यशीलो महाकी तिः V. 31.2c पुण्यशेषसमावृताः V. 9.42b पुण्यश्च रमणीयश्च II. 54.22c " " " , 4ra पुण्या त्रिपथगा नदी VI. 123.51d पुण्यां त्रिपथगां नदीम् I. 45.6d पुण्यान्पुण्याहघोषांश्च VI. I0.8a पुण्या ब्रह्मसरश्च्युता I. 24.Iob पुण्यामभयदक्षिणाम् IV. 64.I9d पुण्यां रामनिवेशने II. 99.24d पुण्या वाता ववुश्चेव VII. IIO.6n पुण्यां शशिनिभाननाम् II. II9.161) पुण्याः सुरभिगन्धयः IV. 51.6d पुण्याश्च मृगपक्षिणः II. 14.40b पुण्ये तपसि तिष्ठतः III. 9.18d ,, नक्षत्रयोगे च II. 14.25c पुण्येन स्वेन कर्मणा II. II8.12d ,, हयमेधेन VII. 85.2a पुण्ये रम्ये वनान्तरे III. 35.37d ,, रंस्यामहे तात II. 56.IIc ,, रुद्रस्य मूर्धनि I. 43.7d पुण्येष्वेव धृतव्रतैः VI. 35.21d पुण्ये सागररोधसि IV. 53.1f पुण्यैश्च नियताहारैः III. I.8a पुण्यैः स्तवैश्चापि सुपूज्यमान: VI. 59.8c ,, स्वादुफलैर्वृतम् III. I.5d पुण्योत्सवसमृद्धा च V. 26.26a पुण्योद्याना यशस्विनी II. 7I.Igd पुण्योपहारं कुर्वन्ति III. II.52c पुण्यो रम्यस्तथैव च III. I3.J9d पुत्रमक्षं महाबलम् V. 58.124d पुत्रमङ्गदमङ्गना IV. 23.22b पुत्रमात्मसमं तव VII. 2.30d पुत्रमात्मानमेव च I. 77.5d पुत्रमिच्छामि धार्मिकम् I. 33.16d पुत्रमिन्द्रजितं तदा VI. 36.18b पुत्रमैक्ष्वाकुनन्दनम् I. I8.IIb पुत्रकस्य यशः पीतम् VII. 33.16a पुत्रका भद्रमस्तु वः I. 39.13d पुत्रकामश्च पुत्रान्वै VI. I28.106c पुत्रः किल जवस्याहम् III. 3.5a , ,, स शक्रस्य V. 38.27a पुत्रः कीर्तिरथस्यापि I. 7I. I0a पुत्रं कृत्वा प्रजाहिते II. 2.10b पुत्रः केकयराजस्य I. 73.2a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy