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पाणिनैकेन मारुतिः VI. 56.16b पाणिपादं च वर्ण वत् VI. 48 13b पाणिं पाणौ विनिप्पिष्य II. 35.1c पाणि पदानकाले च II IIN.8a पाणिमिनिहताः केचित् V.63.Ila पाणिभ्यां च कुचौ काचित V. 10.47a
, परिमार्जती V. 27.151 ,, रुदती दुःखात् III. 45.38c
, हर्तुमिच्छसि III. 47.42d पाणिवादान्यवादयन् II. 65.4d पाणीन्गृहन्तु चत्वारः I. 72.12c पाणीन्याणिभिरस्पृशन् I. 73.34d पाणी पाणि स निष्पिष्य VII. 69.2a पाण्डुकम्बलसंवृताम् II. 89.12b पाण्डमृत्तिकलेपना: II. I.42b पाण्डुरक्षामवासिनीम् II. 7.7b पाण्डुरं गगनं दृष्ट्वा IV. 30.za
,, छत्रमादाय VI. 127.18a पाण्डुर द्वार तोरणाम् V. 3.4d पाण्डुरस्यातपत्रस्य II. 2.7c पाण्डुरश्च वृषः सजः II. 15.IIC पाण्डुरं रत्नभूषितम् II. 15.9d
,, राक्षसेन्द्रस्य VI. II.IIa पाण्डुरर्षमयुक्तेन V. 27.16e पाण्डुरं लोकविश्रुतम् II. 97.26b पाण्डुराच्छादनास्तृतम् VII. 37.11b पाण्डुगणि विशालानि III. 35.19a पाण्डुरा दशनास्तव III. 46.18b पाण्डुराभिः पताकाभि: VI. I21.25a
,, प्रतोलीभिः V.2.17a पाण्डुराभ्रघनप्रख्यम् III. 3.8c पाण्डुरानधनप्रभम् II. 5.5b पाण्डुग्गभ्रप्रकाशानि IV. 33.13a पाण्डुराभ्रमिवाकाशम् II. I0.12a पाण्टुराम्बुदसंनिभैः VI. 39.20d
पाण्डुराभ्रप्रकाशेषु II. 88.6c पाण्डुरा रक्तपादाश्च VI. 35.31a पाण्डुर। रुणवा नि II. 63. Iga
, V. I.79a
,, , 57.7a पाण्डुगश्वश्च संस्थितः II. 15.IId पाण्डुरेण तु शैलेन IV. 33.14a
, विराजिता III 48.11b पाण्डुरेणातपत्रेण IV. 38.12c पाण्डुरेणापविद्धन V. 10.27a पाण्डुरैरुपशोभितम् II. 17.2d पाण्डुरर्भवनैः शुभैः V. 2.1b पाण्डुरैः सलिलोत्पीडैः I. 43.22c: पातकं महदद्भुतम् IV. 12.35c पातकं वा सदोषं वा I. 25.18c पातकैरपि ते कृतैः II. 38.9d पातयत्पृथिवीतले VII. 74.15d पातयन्कूटमुद्गरान् VI. 60.53d पातयंश्च महाद्रुमान् I. 74.4b पातयन्तमपातयत् VI. 75.65b पातयन्त्यपरे परान् VI. 4.28d पातयन्नमृतं पयः VII. 41.20d पातयांचक्रिरे तदा VI. 54.5d पातयामास कायेभ्यः VI. 48.3a
चक्षुषी VI. 43.23d तद्भुवि VI. 40.Id तेजस्वी VI. 58.22c दुर्धर्षः VII. 23.44e दुर्मतिः VI. 97.3Id धूम्राक्ष: VI. 52.340 apà: VI. 90.15a भूतले VI. 90.7Id मुष्टिना VI. 76.27d मूर्धनि VII. I9.20b रावणि. VII. 28.14d
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