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________________ ६३६ परित्यज्य स्वमालयम् VII. II.6b परित्रस्तो न संशयः VI. 65.10b , बभूव च III. 36.22d परित्राणमपश्यन्ती V. 30.9c परित्राता च सर्वशः IV. 22.10b , जनस्यास्य II. 41.5c परित्राति महाबल: V. 38.44d परित्रासमुपागमन् VII. 69.2od परित्रासोर्मिमालिनि III. 21.12b परित्राहीति यद्वाक्यम् III. 59.7c परिदद्याद्धि धर्मज्ञ II. 53.18c परिदाय महायशाः VII. 49.19b परिदृष्टार्थनिश्चयम् VI. I09.13b परिदेवयमानस्य II. 51.26a ,, ,86.23a परिदेवयमानां ताम् VI. 48.22a परिदेवयमानास्ते IV. 22.25c परिदेवयितुं दीनम् IV. 6.1gc परियूनमचेतसम् III. 66.Id परियून मिवात्यर्थम् VI. 126.I0c परियूनं विवर्ण च V. 38.34a परियूना बुभुक्षिताः IV. 52.16b परिधाय शुमे वस्त्रे II. 9.50c परिधावन्वनाद्वनम् III. 60.36b परिध्वस्ताजिराणि च II. 33.18b परिपप्रच्छ भरतम् II. 87.8c , रावणः III. 34.Id सारणम् VI. 26.8b सौमित्रिम् III. 59.Ic परिपालय नो राम III. 6.Ic , नः सर्वान् III. 6.20c परिपालयमानस्य II 7524a परिपाल्या मया सदा VII. 49.17d परिपीडयितुं भूयः II. I0.40c परिपूर्णः शशी काले II. 40.30c परिपूर्णशशिप्रभम् II. 20.47b | परिपूर्णो निशाकरः VI. 71.24d परिपूर्ण समन्ततः V. 6.8d " , , ,9d परिपृच्छति वैदेही II. 60.12a परिपेतुः कबन्धाङ्काम् VI. II0.4c परिपेतुर्बिले तस्मिन् IV. 50.23a परिपेतुर्महावेगाः VI. 44.6c परिप्रक्ष्यन्ति काकुत्स्थम् II. 12.66a परिप्रष्टुमिहेदृशः VII. 71.23b परिप्रेक्ष्यति कौसल्या VI. 32.25c परिभर्त्य भयं त्यक्त्वा VI. 89.22c परिभूतस्तथातथा V. 22.2d परिभूताश्च तेजसा III. 43.44b परिभूतास्तृणं यथा VII. 68.16b परिभूय च भार्गवः VII. 58.21b , तपस्विनः III. 43.41b , महात्मना III. 34.12b , महाबलम् III. 39.9b परिभृतः परंतपः IV. 30.68d परिभोक्तुं रथेन सः II. 45.19d , व्यवस्यन्ति VI. 125.35a परिभ्रमति कालवत् VII. 6.57b , चित्राणि III. 42.28a , राजश्रीः II. 81.6c परिभ्रमितचेतसः II. 13.14d परिमाणं च वीर्य च VI. 25-4c परिमुच्यस्व राघव III. 69.39b परिमृज्य च पाणिभ्याम् II. I0.27a , तदान्योन्यम् II. 91.54c परिमृष्टो दशान्तेन III. 72.8c परिमोक्षं प्रहाराणाम् VI. 40.24c परिमोहितचेतना III. 59.16b परिरब्धुं न शक्नोमि IV. 23.15a | परिलभ्याय चेतनाम् VI. 32.7b Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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