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निर्मितं विश्वकर्मणा III. 12.32d ,, , IV. 41.35b " " , 42.27d " " , 43.2Id
___VI. I2I.27b ,, , VII. 28.29d " , , 76.30b ,, सर्वकामैस्तु VII. 15.39a निर्मितायां च देवेन्द्र VII. 30.24a निर्मिता विश्वकर्मणा VII. 3.26b निर्मितां विश्वकर्मणा V. 2.20b
, , ,, 22b __ , , VI. 40.2d . . , , 123.3d
, स ददर्श ह II. 7I.I8b निर्मितैर्विश्वकर्मणा V. 14.34d निर्मुक्तभुजगाविव IV. 3.1gb निर्मुक्तेव हि पन्नगी II. 43.2d निर्मगं च वनं कृतम् VII. 65.13b निौकमिव पन्नगी VI. 33.32d निर्ययावुद्यतधनु: VI. 95.4IC निर्ययुः कौम्भकर्णाभ्याम् VI. 75.47c
,, परिवार्य तम् VI. 57.30f निर्ययुर्जयकाक्षिण: VI. 95.40d निर्ययुनैऋतव्याघ्राः VI. 51.270 निर्ययुभवनात्तस्मात् V. 42.25c
, 45.IC निर्ययुर्यत्र राघवः IV. 37.20d निर्ययुयुद्धकाक्षिणाम् VII. 25.34b निर्ययुश्चापमण्डलात् III. 25.38b निर्ययुस्तुरगाकान्ता: VI. I27.13a निर्ययुस्ते रथैः शीघ्रः VI. 93.6c निर्ययू राक्षसा घोराः VI. 51.25c
, ,, वीराः VI. 43.3a निर्ययो कुम्भकर्णस्तु VI. 65.52c
निर्ययौ त्रिदशाधिप: VII. 28.27b ,, नगरात्तूर्णम् VI. 66.1c , नगराद्वीरः VI. 90.IIC ,, प्राप्य सुग्रीवः IV. 38.14a ,, राक्षसबलम् VI. 73.27c ,, राक्षसर्वतः VI. 81.3b
, रावणो मोहात् VI. 95.48c निर्याणं सर्वसैन्यानाम् VI. 42.32c निर्याणमिति मे मतिः V. 13.41b निर्याणश्रीश्च या च स्यात् VI. 57.39c निर्याणसमनन्तरम् VI. 32.4od निर्याणादेव तूर्णं च VI. 57.8a निर्याणे तस्य रौद्रस्य VI. 78.19c निर्यातयितुमर्हसि V. 21.2Id निर्यातयितुमिच्छामि III. 54.24a निर्यात रथसङ्घश्च VI. 93.3c निर्याता युद्धदुर्मदाः VI. 69.38b निर्यातानि जनस्थानात् III. 22.20c निर्यातास्तेन वीरेण II. 47.Ira निर्यातु च भवान्यष्टुम् I. 13.37c निर्यातेति ममाज्ञया VI. 95.5d निर्याते त्रिदशेश्वरे VII. 28.26d निर्यातत्यब्रवीत्प्रेक्ष्य III. 22.16c निर्यातो जगतीपतिः I. 13.39d निर्यान्तं राक्षसाधिपम् VI. 9I.18b निर्यान्तीत्यवघोषय VI. 64.22d निर्यान्तो वाभियान्तो वा II. 71.24e निर्यापयति राक्षसः VI. III.Io6b
, सत्वरम् VI. III.I04b निर्याप्य सेनामथ सोऽग्रतस्तदा VII. 64.18a
,, मार्गितव्या च IV. 41.38c निर्यासरसमूलानाम् III. 35.21a निर्यास्यति हि रावण: VI. 9I.16d ___ , , , , , I7b | निर्लज्ज पापकृत्तमम् V. 55.7b
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