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नियता ब्रह्मचारिणी II. 27.13b नियतामक्षतां देवीम् V. 64.42c नियतामिव तापसीम् V. 15.31b नियतिः कर्मसाधनम् IV. 25.4b
, कारणं लोके IV. 25.4a ,, सर्वभूतानाम् IV. 25.4c नियतो नियतेन्द्रियः I. 29.30d ,, , VII. I3.21d , वृक्षमूलिकः V. 13.38b ,, , ,, ,, 43b नियमादप्रमत्तस्य VI. 21.10c नियमादूर्ध्वबाहवः II. 95.7b नियमेन समाहितम् I. 23. Iod नियमैर्दुष्प्रधर्षणः IV.48.12b नियमैर्विविधैराप्तम् II. 118.14a नियमैश्चाप्यलंकृता II. 117.10d नियमोपार्जितेन च IV. 52.26d नियम्य कोपं परिपाल्यतां शरत् IV. 27.48a
, पृष्ठे तु तलालित्रवान् II. 87.23a ,, बलिमोजसा I. 29.21b नियम्यैवं समाचर II. 3.46b नियुक्तं शास्त्रतस्तदा I. I4.3rd नियुक्तः पुण्यकर्मणा II. I05.37b
, पुरुषर्षभ II. I07.7b , प्रददौ वरम् II. I06.6d ,, स्त्रीनिमित्तेन II. 90.12a
, सुरसत्तमैः I. 16.1b नियुक्त शिबिका शुभाम् II. 92.37b नियुक्तास्तत्र पशवः I. 14.30a नियुक्तैर्मन्त्रिभिर्वाच्यः IV. 32.18a नियुक्तो गुरुणा पित्रा II. 18.29c
, धुरि यस्यां तु V. 38.60c ,, नृपतेः कार्यम् VI. I.9a
, राजपूजने VII. 92.5d नियुक्ष्व मां महातेजः I. 54.16a
नियुज्य धुरिमाहिते II. 36.14b नियुज्यमानाश्च गजाः सुहस्ताः V. 7.14a नियुज्यमानो भुवि यौवराज्ये VI. 128.93c
, राज्याय I. I.34a
, विरब्धः II. I9.5c नियुतं रक्षसामत्र VI. 3.25a. नियोगमतिवर्तितुम् II. 21.43b नियोगात्तु नरेन्द्रस्य III. 17.17a नियोगे नापि चेश्वरः IV. 25.5b नियोगेष्विह कारणम् IV. 25.4d नियोजयसि कर्मसु II. I00.26d नियोजयामास सुहृजने चिरात II. 32.44c नियोज्यो लोकनिन्दिते VII. 47.5d निरतो वनवासिनी VII. 94.20b निरनुक्रोशतां गतः I. 59.21d निरनुकोशता चेयम् VI. 87.17a निरन्तरमिवाकाशम् VI. 89.34a
VII, 22.190 निरन्तरमुरोगतम् VII. 38.18d निरन्तरमुरोगतः VII. 40.28b निरन्तरशरीरौ तु VI. 45.8a निरपाश्च सुदुःखाश्च II. 28.10c निरपेक्षा च मेथिली VI. 47.9b
, निशाचराः VI. 71.108b निरमित्रः कृतोऽस्म्यद्य VI. 9I.I6c निरयं गन्तुमिच्छसि II. 38.11b
,, लोकविश्रुतम् II. 21.28b निरयस्थमिवाभवत् VII. 35.52d निरयस्थं विमानस्थाः III. 29.13c निरयस्था यथा नराः VII. 5.17d निरयेष्वेव पतनम् VI. 63.3c निरयो यस्त्वया विना II. 30.18b निरर्चिषौ भस्मकृतौ VI. 71.88a निरर्थकं विकत्यन्ते III. 29.18c निरर्थोऽस्ति कदाचन II. 2.45d
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