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________________ २०५ कालातीतमरिन्दम IV. 29.15b कालात्ययेन दोषः स्यात् VI 101.35c कालानलशिखोपाम् V. 54.5d कालानल शिखोपमैः VI. 50.132d कालान्तकयमोपमः VI. 57.32d VI. 60.94b VI. 82 8d VI. 95.4Id कालान्तकयमोपमम् VI. 67.139d VI. I16 22b कायान्तासमोपमे III. 3.15d काला भिषनरय विनाशकाल IV. 15.3rd काल भिपन्नाः सीदन्ति III. 6950c , VI. 16.24c कालायसपरिष्कृतम् V.53.39d कालायसमयाः शिता: VI. 3.33b कालायसमह शूल V. I7.9c कालाश्वयुक्ते महति VI. 88.2c कालाहमय दारणम् I. 56.IId कालिकानिलवेगेन II. 4I.I2a कालिकानिलसंकुल: VI. 22.22d कालिकाः पाण्डुरर्दन्तः VI. 35.28a कारिन्दी चाभ्यनादयत् I. 70.33d कालिदी जग्मतुर्नदीम् II. 55.12d कालिन्दी त्वभ्यव दयत् II. II0.20d कालिन्दीमथ सीता तु II. 55.21a कालिन्दीमध्यमा याता II. 55.19a कालन्दी मनुगच्छेताम् II. 55.4c कालिन्दी यमुना रम्याम् IV. 40.21a काली कर्दमलिताङ्गी V. 27.27a काल कलहीतानाम् VI. 4.52c काले कालमिव द्यतम् VI 32.23b ,, काले च नित्यशः II. 28.15b ,, ,, तु धर्मात्मा VII. 3.3ia ,, ,, ,, मां वीर VII. 72.15a | काले कालेऽन्ववेक्षते VI. 35.34b ,, ,, ऽन्ववैक्षत I. 77.23b ,, ,, प्रजाकरः VII. 8.27b ,, ,, प्रयच्छति VII. 99.17b ,, कृतां तां मनुजैः II. 49.16c ,, त्वमागतः सौम्य II. 31.34. , दुःखसमन्वितः III. 16.27b ,, द्विगुणशीतल: III. 16.15d ,, दृष्टः सकारणः II. I00.57b ,, धर्मार्थकामान्यः VI. 63.12a कालेन बलवत्तरम् II. 88.IIb , महता महान् I. 41.26b , , , VII. 50.12d ,, , सर्वे I. 38.18c ,, विनियुज्यते IV. 17.53b ,, हि ममात्मजा: I. 47.6d बालेनानुगतो ह्यसि VII. 68.6d कालेनानेन नाभ्येषि III. 56.25a कालेनापि दुरासदाम् VI. I00.22b , सुरासदम् VI. 102.4gd कालेनेव युगक्षये VI. 94.38d कालेनैव विपन्नोऽहम् VII. I9.27c कालेनोपनिपीडिता V. 67.39d काले प्रविश लक्ष्मण II. 53.16d | कालेऽप्सरोमिहृष्टाभिः II. 50.13c काले यस्तु निषेवते IV. 38.20d वर्षति पर्जन्यः VII. 41.20c ,, , , VII. 99.12a , , वासव: VII. 70.10b ,, वेदयते सदा II. 100.12d ,, शुष्काणि कुञ्जरैः III. 71.24d ,, साधु निरूपितम् IV. 29.28b ,, हुतहुताशन: VII. 37.13b | कालो गृहाणि सर्वेषाम् VI. 35.34a , द्वादश वर्षाणि VII. 65.36a , वापस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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