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________________ ५६२ नर मुख्या यथा पुरा II. 7I.24f नरान्तकस्य कुम्भस्य V. 54.15a ,, रमे दारुणेनाहम् VI. 87.20a नरान्तकस्योरसि वालपुत्रः VI. 60.93d नरराक्षसमुख्यौ तौ VI. 88.36e नरान्तके वालिसुतेन संख्ये VI. 39.95d नरराक्षससत्तमौ VII. 32.59d नरान्तको भूमितले पपात VI. 69.94c नरराक्षससिंहयोः VI. 88.33b ,, वानरसैन्यमुग्रम् VI. 69.66c न रराज विना रामम् III, 52.18c नरान्त के ऽपा नगझ्योधी VI. 59.22d नरराजो ददर्श ह VI. I06.5b नरान्तकं हतं दृष्ट्वा VI. 70.1a नरर्षभो यूथहतो यथर्षभ: II. 85.21d नरान्तकः कुम्भहनुः VI. 57.30c नरवानरराजानौ VI. 37.1a ,, , ,, 58.1ga नरव्याघ्रा इति स्मृताः IV. 40.28d ,, क्रोध वशं जगाम VI. 60.ga नरश्रेष्ठ सरोषाभ्याम् VII. 54.15a नरान्पीताम्बरानिव IV. I.21d नरश्रेष्ठो महायशाः I. 67.17d नरान्रोधुमिहार्हति II. III.I7b नरश्रेष्ठं मुदान्वितम् I. 69.9b न रामकार्य मनसाऽप्यवेक्षसे IV. 34.10d नरसंघैः समन्ततः II. 98.3b ,, रामगमने राजन् I. 21.20c नरसिंहो महाद्युतिः II. 16.14b ,, रामपातालमुखेऽतिघोरे III. 31.48c न राक्षसगणेश्वरः VII. 32.58b ,, राम राज्ये रमते मनो मे IV. 24.5d ,, राक्षसैर्मन्त्रगतिर्विमृष्टा V. 48.50b ,, रामरामानुजशासनं त्वया IV. 32.22a ,, रागात्परिहास्यथः VII. 93.8d ,, रामरावणं युद्धे VII. 39.3c ,, रागोपहतेन्द्रियः II. 2.44d नरा मातरमङ्गनाः II. 35.28d ,, राघवः प्राप्स्यति जातु मैथिलीम् VI. I0.28b,, मांसाशिनो भृशम् IV. 18.30b ,, राघवाद्वानरराजतोऽपि वा IV. 53.26d न रामेण वियुक्ता सा V. II.2a ,, राजा कुपितो राम II. 18.20a ,, ,, सुखं लेभे III. 25.26c ,, राजानमुदाहरत् II. 90.7d ,, रामे दृश्यतेऽशिवम् II. 44.24b ,, राज्ञां यत्र पीडा स्यात् VII. I02.4a. नरा मोदकहस्ताश्च VI. I28.38c ,, राज्यभ्रंशनं भद्रे II. 94.3a न रामो नाशयिष्यति V. 26.39c ,, राज्यमेवं विगुणस्य देयम् IV. 31.3d ,, रामं गगये वीर्यान् III. 22.3a ,, राज्यं संस्मरिष्यति II. 36.6d | ,, ,, नेतुमर्हसि I. 20.4d नराणां परिदृश्यते III. 52.2d ,, प्रेक्ष्य राजानम् II. 40.37c " , , , ,, 9d नरादनृतवादिनः II. I09.12b नराधिपकुले जाता II. 7.23a ,,, ,, ,, ,, I2) नराधिपो रघुपतिपाददर्शने VII. 70. I7c ,, ,, शीघ्रकारिणम् VI. 93.21d नरा निर्यान्त्यरण्यानि II. 67.19c ,, रामः कर्कशस्तात III. 37.12a नरान्तकभयत्रस्ताम् VI. 69.79c ,, ,, परदारान्सः II. 72.48e नरान्तकमभिक्रम्य VI. 69.85c ,, रामस्तपसा देवि V. 20.34a ,, ,, 6d " , Id Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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