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न भवेच्च तथा कुरु VII. 75.4d ,, भवेत्पार्थिवस्य तु IV. 3.34b ,, भवेत्सदृशस्तव I. 22.15b , , ,, ,, I7b ,, भवेद्वयसनं महत् III. 37.5d नभसि प्रचकाशिरे II. 4I.IId नभसो मध्यमास्थितः VII. 31.28b न भान्ति कमलाकराः III. 16.26d ,, भान्तीह यथा पुरा II. 7I.40b ,, भार्या न च बान्धवी II. 42.6d ,, भास्करो दर्शनमभ्युपैति IV. 28.47b ,, भ्राजते वानरराजसैन्यम् VI. 73.67d ,, भिद्यते यद्भुवि नो विदीयते II. 20.51b ,, भीः कार्या त्वया कपे V. 50.7d ,, भीतोऽस्मि न मूढोऽस्मि VI. I04.Ira ,, भूमौ नान्तरिक्षे वा IV. 44.3a ,, भूम्या कार्यमस्माकम् I. 14.47c ,, भेतव्यमिति ब्रुवन् VII. 25.40d , , स्वयम् VII. 25.44b ,, भेतव्यं च भेतव्ये II. 28.240 ,, ,, ,, सर्वश: VII. 24.32d ,, ,, न गन्तव्यम् VII. 28.6a ,, भेदसाधाबलदर्पिता जनाः V. 41.3c ,, भेदेन कुतो युधा VI. 84.12b ,, भोक्तुं नाप्यलं वर्तुम् V. II.2c ,, भोक्ष्यति महाभागा IV. 62.7c ,, भोक्ष्यते वानरराज्यलक्ष्मीम् IV. 31.2c ,, नभो न पातालमनुप्रविष्ट: VI. 14.6d नभो नेरिवावृतम् I. 34.16b ,, मिन्दन्हि शुश्रुवे V. 56.45d नभः क्षपायाममलं विराजते II. 80.221)
, प्रकीर्णाम्बुधरं विभान्ति IV. 28.17b ,, प्रज्वालयामास VI. 102.65c , समाक्रामति शीघ्रवेगा IV. 30.47c , समावृत्य च पक्षिसङ्घाः V. 48.23c
नभः समीक्ष्याम्बुधवमुक्तम् IV. 30.33a नभश्चकाराविवरम् III. 28.7c नभश्च तत्रास ररास चोर्यो VI. 71.99d नभश्चन्द्रमसा यथा VI. 73.14d नभश्चाप्यवसादयेत् III. 31.24b नभस्तलगतो ययौ VII. 23.53d नभस्तलं विशेयुश्च I. 17.28a नमस्तारागणैरिव V. I0.34d
., VII. 42.15b नभस्थाने दुन्दुभयः VII. 9.36c | न भाजति वरानने III. 55.32b ,, भ्राजते रजोध्वस्ता II. 65.23c ,, ,, राहुमुखे यथेन्दुः III. 63.9d ,, भ्राजेते महीतले VI. 71.88d ,, ,, शरोत्तमौ VI. 71.88b | नम उग्राय वीराय VI. I05.18a न मतिर्न बलोत्साहः V. 46.14a ,, मत्कृते विनश्येयुः V. 13.52c ,, मत्तो निर्गतान्याणान् VI. 13.18a ,, मत्सकाशमागच्छेत् V. 64.20a ,, मद्विधो दुष्कृतकर्मचारी III. 63.3a ,, मनो लोभयेन्मृगः III. 43.29d ,, ,, विस्मयं व्रजेत् III. 43.30d ,, मन्मथशराविष्टम् III. 48.17c ,, मन्यते कर्मफलानुषङ्गान् IV. 31.25 ,, मन्यु कर्तुमर्हसि IV. 18.36d ,, मन्युहरिपुंगव IV. 18.37b ,, मन्ये ब्रह्मचर्य वा II. 52.17a ,, ,, सुखमावयोः IV. 22.4b न ममाच्छिद्यते गतिः IV. 45.16d ,, ममार स राक्षसः III. 4.8d ,, मया किंचिदीरितम् IV. 28.6od ,, ,, मोक्ष्यसेऽद्य त्वम् VI. 40.10c ,, ,, यद्ययं शक्यः VII. 22.47c
, शासनं तस्य II. I05.38a
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