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नगाश्चैव मधुस्रवाः VI. 124.22b नगाः पत्ररथाकुलाः IV. 43.43d नगाः पर्वतसानुनि II. 93.10b न गृहाणि न वस्त्राणि VI. II4.27a ,, गृहीतं महात्मनः VI. 68.2Id ,, गृह्णन्त्यकृतात्मानः VI. 16.20c नगेनेव जलाशयम् VI. 76.61d नगेन्द्रविन्ध्योपमभीमकायः VI. 59.25b न ग्रहो नापि नक्षत्रम् II. 41.13c ,, ग्राहा विधमिष्यन्ति VI. 22.26c ,, ग्लानिमधिगच्छति V. 2.3d ,, च कर्मसु सीदन्ति V. 39.36c ,,,, ,, ,, ,, 68.19c ,, चकर्ष शरासनम् VI. I03.28b ,, च काकुत्स्थ सोऽबुधत् III. 68.13b ,,,, कांचन चित्रं ते II. 26.17a , चकार च किंचन VII. 29.23d , ,, व्यथां चैव VII. 14.13a ,, च कार्यों विषादस्ते IV. 16.5a , ,, कालमतीतं ते IV. 29.16a ,, ,, कालवशानुगः II. I.31b ,, ,, किंचित्प्रकाशते I. 65.13d
,, कृत्स्नास्त्रयो लोकाः II. 23.21c ,, ,, कौतूहलं कार्यम् VI. 50.57a ,, ,, क्षत्रियपासनः III. 37.8d ,, ,, घातं करिष्यति VI. 84.Iod ,, चचाल महाकपिः VI. 77.13b ,, च जज्वाल पावकः VI. 89.37d ,, ,, तत्कुरुते मतिम् V. 37.9d ,,,, तत्कृतवान्वचः VI. 84.IId ,,,, तत्र ततः किंचित् II. 30.17a ,,,, तस्य स दुष्टात्मा V. 37.13c ,, ,, तं जानकी सीता V. 42.14a ,,, ताम्यति शोकेन II. 52.26c न च तीक्ष्णो हि भूतानाम् III. 37.9c
न च तृप्तिं ययुः सर्वे VII. 94.IIC ,, ,, तेन विना निद्राम् I. 18.30c ,,, ते मर्षये पापम् IV. 18.22a ,,,, ते विषये कश्चित् II. 35.IIa ,, ,, ,, सोऽवमन्तव्यः III. 72.18c ,,,, ,, स्थावर स्थानम् VII. 30.34c
तैरिह वस्तव्यम् IV. II.56a ,, ,, तो युद्धमुख्यम् VI. 88.62c "", , , , , 76c
,, राघवादन्यः I. I9.I2a ,,, राममासाद्य I. I9. IIc
, त्वं न च ते पिता VI. 87.26d ,, ,, ,, मामवाप्स्यसे III. 59.17d ,, ,, त्वया व्यथा कार्या ]II. 68.1a ,, ,, त्वां देव गर्हते II. 38.13d ,,,, त्वामवजानेऽहम् IV. 17.24c ,, ,, दर्शयते रूपम् VI. 21.12a ,,, दाशरथिर्वेद VI. 24.40c ,,, दिग्ज्ञायते याम्या IV. 6I.IIa ,, ,, दोषोऽत्र विद्यते IV. 18.39d , , दोषो भविष्यति I. 9.17d ,, ,, धौर्नापि सागरा: VI. 95.12b ,,,, धर्मगुणहीनः III. 37.9a ,,,, धर्मपथे स्थितः VI. 16.10d ,,, नः कुरुषे वाक्यम् V. 24.30a ,, ,, निष्कामते वाली IV. 46.5c ,,,, नेमिखुरस्वनः VI. 80.26b ,, चन्दनं नाञ्जनपानभोजनम् II. 9.64b ,, च पश्याम मैथिलीम् IV. 50.15b ,, , , ,, 56 13b ,,, पश्यामहेऽश्वं ते I. 40.9a ,,, पश्यामिकारणम् II. 69.2of ,,, , किंचन V.58.35d ,,, , जानकीम् V. 13.5b न च पश्यामितत्सैन्यम् VII. 89.IIC
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