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________________ देवी रुद्रस्य संमता VII. 87.24b सरस्वती चैव VII. 10.46a " सहायो भगवान् I. 29.11a सुमित्रा विरराम रामा II. 44.3od सुरुचिरानना VII. 87.27d तस्मिन्महात्मनि VII. 16.21b देवेन दुरनुष्टितम् I. 51.6d परिदेवितम् V. 35.40b देवेन्द्रमिव कश्यपः II. 3.3gb देवैरपि सवासवैः VII. 108.28b देवेशो वृषभध्वजः I. 55.13b देवेष्वथ नभस्तलम् VII. 3. 21d देवेष्वरिनिषूदन VII. 18.6b देवेष्वायतनेषु च II. 25.4b देवैरपि दुरन्वया III. 66.18b दुरासदम् VI. 62.31d दुरासदाः IV. 59.26b सगन्धर्वैः VI. 20. I2C " " " " " 93 " 6g.13a " " सदानवैः VII. 43.14d सवासवैः VI. 84.14d देवैरभ्यर्थिताः सम्यक् IV. 43.26c "" देवैरिव पितामहः I. 18.34b "" शतक्रतुः I. 69.11b देवैर्मुक्ता महौघवत् VII. 11.6d देवैर्हि रघुनन्दनः VII. 69.31d देवैः शक्रपुरोगमैः III. 59.15d ,, सह सबान्धवैः VII. 98.23d देवैश्व समरुद्गणै: VI. 128.30b देवैस्तदा समागम्य I. 75.18c देवैस्तु शत्रसंभिन्नाः VII. 28.40c देवो दिव्येन चक्षुषा III. 52. 1od देवपुरीमिव V. 2. 18d 99 " देवानां नदीम् II. 50.15b देवोद्यानानि वीर्यवान् III. 32.16b Jain Education International ५१७ देवोद्यानेषु सर्वेषु VI. III.32a देवो नारायणः प्रभुः VII. 27.14b देवोपवाह्यमक्षयम् VII. 15.38 देवो वाचस्पतिर्यथा V. 34.29d ar as a VII. 22.40b " मानुषो वा त्वम् VI. 125.43a वैश्रवणो यथा V. 34.28d " aa: VII. 11.30b 33 देवौ वा दानवावेतौ III. 19.16c देव्यङ्के भरताग्रजः V. 67.4b देव्यनूढा त्वमभवः II. 63.14a देव्यः समस्ता रुरुदुः समेताः II. 34.6ra देव्या कौसल्या नृपः II. 62.20b देव्या चाख्यातं सर्वमेवानुपूर्व्यात् V. 65.28c "" 23 " " " " जनयति व्यथाम् V. 67.4d दग्धं प्रभावेण VII. 13.30a " दिव्यप्रभावेण VII. 13.24a धर्मपरिग्रहम् V. 55.2gb मधुरमब्रवीत् II. 60.15d रूपनिरीक्षणात् VII. 13.3od वरमनुत्तमम् VII. 87.25d सह तपश्चर I. 36. Iod " देव्याः प्रियचिकीर्षुः सन् VII. 87.12c देव्याश्च भर्तास गतिश्च धर्मः II. 21.60d देव्येवं समजायत V. 35.51b देव्यै च तस्यै जनकात्मजायै V. 13.57b देशकालनयैर्युक्तः IV. 40.18a देशकालप्रतीक्षोऽस्मि IV. 63.3c देशकालप्रधानश्च V. 48.4 देशकालविधानवित् V. 64.4b देशकालविपर्ययात् VI. 5.18d देशकालविभागज्ञः V. 35.21C देशकालविरोधिताः V. 2.37b 30.37b " देशकालविहीनानि VI. 63.6a For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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