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________________ दृष्टमाश्रमपदे पुन: VII. 71.20d दृष्टमेतत्पुरा विप्रैः VII. 50. Ioc दृष्टमेतन्निसर्गत: VII. 27.16d दृष्टमेतन्महाबाहो VII. 106. Sa दृष्टमेव तथैव नः VI. 57.14d दृष्टमन्तःपुरं सर्वम् V. 72.6a लोकपरावरः II. 6.22d VI. 10.13d " दृष्टलोकपरावरा II. 62.gb दृष्ट लोकपरावराः II. 117.28b दृष्टवन्तो महद्विलम् IV. 52.11b दृष्टवांश्च तदा तां स्त्रीम् VII. 30.29c वीर्यस्तु काकुत्स्थः I. 68.16a दृष्टं तद्वै त्वया राम II. 52.43a मे तपसा चैव IV. 62.3c " "3 "" परुषितो मोहात् VI. 110.19c मे नन्दनं भग्नम् VII. 13.1ga राज्याभिषेचनम् II. 23.1gd लोकैस्त्रिभिस्तदा VI. 107.54d 23 "3 39 दृष्टः कश्चिदुपायो मे VI. 64.21a ,, कृष्णाम्बरः पुन: V. 27.21b पूर्व मृगो मया III. 43.13b फुल्ल इवारण्ये V1. 103.7C संभाषितश्चासि VII. 36.51c दृष्टश्चाहं पुनस्तेन III. 42.2a दृष्टश्वेत्त्वं रणे तेन III. 37.21 दृष्टस्त्वं स तदा तेन VII. 30.30c दृष्टस्तेऽद्य पराक्रमः VI. 67. 113d दृष्टा जनकनन्दिनी V. 65.1gb 19 13 " "" " देवीति विक्रान्तः V. 57.36c हनुमद् V. 6443a " देवी न चानीता V. 60.8a " "" " "" 23 33 "" " ވވ संदेह: V. 63.196 64.32c "" संशयः V. 64.27d Jain Education International ور ५०६ दृष्टानि धरणीतले V. 15.46b दृष्टापदाना विक्रान्ताः II. 100.3IC दृष्टा मे राक्षसीमध्ये V. 65. 120 राक्षसयोषितः V. 12.6b 35 33 साजनकात्मजा V. 57.38c दृष्टासि कमलेक्षणे III. 60.26b दृष्टा सीता च जानकी VI. 6.2d संभाषिता चापि VII. 35.5c दृष्टास्माभिः प्ररुदिता VII. 49.5a दृष्टा हनुमता तत्र V. 12.190 2.0C 21C "" "" ›, 22C दृष्टा हि प्रमदावने V. 59.26b दृष्टां दुष्टेन चक्षुषा VI. 115.20b दृष्टिचित्तापहारिणम् II. 3. 2gb दृष्टिप्रसादाच्च नरेन्द्रसूनोः IV. 33.40b दृष्टिरम्याणि ते दृष्ट्वा VI. 39.20 दृष्टिरागेण सूच्यते VI. 49.16d दृष्टिष्पवशं गता VI. 101.6d दृष्टिभ्रमति राघव III. 68.11b दृष्टिर्विषयवर्तिनी V. 11.39b दृष्टिं दृष्टिविषस्येव VI. 100.53a दृष्टि प्राप्तो भुजंगम: VI. 100.53d दृष्टि न सुखा मयि V. 40.11b दृष्टिस्तमसि वर्तते IV. 50.20b दृष्टिं तत्राविचालयन् II. 19.31d दृष्यमसितेक्षणा V. 41.2b दृष्टो दोषो हि योऽस्माभि: VI. 63.2a दृष्टो मयाऽऽश्रमः सौम्य III. 75.3a दृष्टो मे परिपूर्णाः VI. 33.16a दृष्टोवाच महातेजा: VI. 69.8ra दृष्टा व्याभाषितेन च VI. 125.15d दृष्ट्वा कथंचिद्भवति V. 40.14a कर्म सुदुष्करम् V. 1. 12gb 33 " " " 39 " " For Private & Personal Use Only " 3" 2 در 22 " "" www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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