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________________ ४६८ स्वयि संनिहितेप्येवम् II. 20.4Ta . ,, संन्यस्य जीवन्ती V. 65.12a ,, सर्व प्रतिष्ठितम् III. 9.7d " " " , 55.16b " , , VII. 76.28d , , 98.18b Hafaguzi VII. 83.10b ,, सान्त्वमनर्थकम् II. 7 25b ,, सुप्ते नराधिप VII. 37.4d ,, स्यादप्यसंशयम् V. 37.48d ,, स्यान्मातृवत्सदा II. 73.Ird त्वयीयं विनिपात्यते VI. I00.28d त्वयेदं भुज्यते सौम्य VII. 77.19c , महदारब्धम् VI. 12.34a. त्वयेमे स्थापिता लोका: VII. 27.1IL त्वयेहाध्ययतो मम VII. 2.31b त्वयेहान्येन गम्यते VII. 20.20d त्वयैकेन प्रधर्षितम् V. 36.7d त्वयैतत्प्रतिवारिते VII. 45.20d त्वयैते भीमविक्रमाः VI. 76.77d त्वयैव कथितं पुरा II. 9.18d , नूनं दुष्टात्मन् III. 53.4a. , रघुनन्दन VII. 98.22d , रिपत्रः पुरा IV. 23.7b त्वयैवोक्तमिदं वचः III. I0.3b त्वयोक्तं देवि शृण्वता II. 38.10b त्वयोध्या परिपालिता VII. 62.12b त्वय्यकारणसंतप्ते VI. 85.7c त्वय्यधीनं सुखं ज्ञात्वा VI. 64.34c त्वय्ययं समुपस्थितः VII. 42.31d त्वय्यर्धं निपतिष्यति VII. 30.34b त्वय्यस्ति मम च स्नेहः VI. 62.20a त्वय्यहं परिदेवये IV. 8.26d ,, वरवर्णिनि VII. 56.18b त्वय्येतत्पुरुषव्यात्र II. 90.20a. त्वय्येते नात्र संशयः I. 22.20d त्वय्येव भुवि नान्यतः VII. 95.15d ,, सक्तामनिवर्त्य बुद्धिम् II. I02.0b ,, हनुमन्नस्ति IV. 44.7a त्वय्येवाक्षय्यमस्थिति VII. 38.12d त्वर कालव्यतिक्रमः IV. 30.83d त्वरणार्थं तु भूयस्त्वम् IV. 37. TOc त्वरते कार्यकालो मे V. I.1247 त्वर तेन महाबाहो VI. 88.40c त्वरते हि मनो द्रष्टम् VII. 46.31c त्वर त्वमभिगच्छामः VI. 123.32a | त्वरचिव ससंभ्रमम II.5.6b त्वरमाणः कृताञ्जलि: VII.4..Sd त्वरमाणश्च धर्मात्मा II. 60.15a , निर्याहि II. 68.7c ___ ,, , , 70 30 त्वरमाणस्ततो गत्वा III. 3I.Ta त्वरमाणाक्षरं वचः 62.IId त्वरमाणैः प्लवङ्गमैः VI. 22.64d त्वरम णैर्महाकायैः VI. 22.66c त्वरमाणो जगाम सः VI. 87.1d , जगामाथ III. 60.3a ,, जनस्थानम् III. 44.27c स्वरमाणोऽथ रावणिः VI. 46.21d लरमाणोऽपि स प्राज्ञः IV. 29.16c स्तरमायो विभीषणः VI. III. I02d __, ,, II.1.8b त्वरमाणोऽभिचक्राम VII. IOTI.2c त्वरमाणोऽरमागतः VI. 50.511) त्वरमाणों पलायेथाम् III. 3.7c , युयुत्सया I. 30.3b त्वरयन्तः प्लवङ्गमान् VI. 4.30d त्वर यन्ति स्म हर्षिताः II. 82.25d त्वरयस्व बलं शीव्रम् VI. I.PIC ,, महाराजम् II. I.4.42a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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