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त्वया किं कृतवानयम् V. 427d ,, विलैपु नृपतिः VII. 46.7a ,, कृतमयत्नतः VII. I.od ,, कृतमरिंदम I. 4.1.13b ,, कृतमिदं प्रभो III. 15.28b ,, कृतमिदं सर्वम् VI. III.73c ,, कैलासशिखरात् VI. 7.6c ,, गुल्मनिवेशनम् VI. 8-.5b ,, च परिसान्त्विता III. 2 I.7d ,, ,, पुरुपोत्तम II. 97.10d ,, ,, रघुनन्दन III. 16 40d ,, ,, सह गन्तव्यम् II. 20.5a ,, ,, सीते सह लक्ष्मणेन II. 91.27b ,, चाधर्षितः पुरात् IV. 14.I7d ,, चात्मप्रशंसिना VII. I0.27b
चाहं विगर्हिता IV. 20.12b चैव धनाधिप VII. I3.27d ., मया चैव II. 21.15a जीवापितः सुतः VII. 76.27a तस्मै वरो दत्तः I 15.7a
तस्य निरस्तस्य IV. 15.Ita ., तात तपस्विना II. 64.9d ,, ,, प्रणाशितः IV. 67.30b ,, तु खलु वस्तव्यम् III. 47.15c. ,, तु नृपशार्दूल VI. II6.14a ,, ,, भगवन्सष्टाः VII. 35.:4c ,, तुल्यपराक्रमः IV. 22.11b ,, तेन च वीरेण II. 66.21a ,, तेभ्यो विहङ्गम IV. 62.IId त्वयात्मवधकाक्षिणां VI. IIO.I9d त्वया त्रैलोक्यनाथेन I. 76.I0c ,, विदानीं धर्मज्ञ II. 72.52a ,, दत्तोऽयमस्माकम् VII. 35.55a ,, दशरथात्मज III, 30.36d ,, दारप्रवर्षणम् III. 72.9d
त्वया दूरादुपाहृताः VI. III.30b त्वयाऽदृश्येन तु रणे IV. 17.48a त्वया देवाः प्रतिव्यूह्य VI. 62.20e ,, हि ममानार्यः VI. I04.5a , धर्मभृतां वर VI. II9.2d ,, धर्मसमागतम् VII. 83.18b ,, नाथवती नाथ V. 38.38c ,, नाथेन काकुत्स्थ IV. 17.42a ,, ,, धीमता II. 27.18b ,, , पालिता I. 77.3d ,, ,, सुग्रीव IV. 36.13c ,, निवेशिता सौम्य VII. II.24a त्वयानीता वराङ्गनाः VII. 25.1gb त्वया नीतो महान यम् II. 73.13d त्वयानुज्ञातुमिच्छामि VII. 72.4c त्वया परमदारुणम् II. 12.15d ,, परिगृहीतोऽयम् IV. 21.9c ,. पापात्मना वने VII. 17.30b त्वयाऽपि खलु तत्कार्यम् IV. 62.14a त्वयापि च यदज्ञानात् II. 64.53a त्वया पुत्रेण तारितः VI. II9.8b ,, ,, धर्मात्मा III. 15.2gc ,, ,, राघव VI. 32.11b ,, पुत्रे विवासिते II. 61.23d ,, पुनर्नृशंसेन VI. II0.22a ,, पुनर्ब्राह्मणगौरवादियम् VII. 60.18a. ,, पूज्येन पूजिताः III. 8.5b त्वयाप्युक्तं महाराज VII. 25.44a त्वया प्रनष्टे तिलके V. 40.5c ,, बलवता बलात् VII. 24.27b , भरतशत्रुघ्नो II. 26 33c ,, भोगवतीं गत्वा VI. 7.3c ,, भ्रातरि राघवे II. 77.6b ,, मनोनन्दन नैर्ऋतानाम् V. 52.22c
मम निदर्शितम् II. 29.7d
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