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त्रैलोक्यमोहनं रौद्रम् I. 56.17c त्रैलोक्यं बाधते भृशम् I. 20.16d
,, भुज्यते मया VII. 29.14b ,, भृशसंक्रुद्धः IV. 66.25c ,, येन कम्पितम् VII. 16.29d ,, ,, संभ्रान्तम् I. 65.9a. त्रैलोक्यराज्यं सकलम् V. 16.14c त्रैलोक्यवसुभोक्तारम् V. 24.4a
VI. III.48c त्रैलोक्यं वा सहामरैः VI. 59.109b त्रैलोक्यविजयं पुत्र I. 46.14c त्रैलोक्यविजयाकाङ्क्षी VII. 13.4IC त्रैलोक्यं विजितं येन VII. 20.3IC
व्यथयन्निव VII. 7.Iod ,, सचराचरम् I. I.83d
____III. 64.70b ___VII. 27.12b
त्रीण्येव व्यसनान्यद्य III. 9.3a त्रीनुपायानतिकम्य V. 41.2c श्रीक्रमानिव विक्रम्य V. I.198c त्रीपथो भावयन्तीति I. 44.6c
, हेतुना केन I. 36.3a त्रीपदानथ मिक्षित्वा I. 29.20a जीन्पुत्रान्जनयामास VII. 5.5e त्रीन्मासानष्टमासांश्च III. II.26a त्रौंल्लोकानपि जेष्यामि VII. I3.38c त्रीलोकान्धारयनराम VI. II7.23a त्रील्लोकान्संपरिक्रम्य V. 38.32c
, ,, 67.140 त्रील्लोकांस्तु जयन्निव II. 52.18d ग्रीन्वर्णानुपचारिणः I. 6.19d त्रीन्सिहांश्चतुरो व्याघ्रान् III. 2.7a त्रीस्त्रिनेत्रसमान्पुत्रान् VII. 5.6c वेतानयोऽपि दीप्यन्ते IV. 13.23a त्रेताग्निसमतेजसः VII. 5.8b त्रेताग्निसमविग्रहम् VII. 4.2b त्रेताग्निसमविग्रहान् VII. 5.5f त्रेतायुगमनुप्राप्य VII. 17.37c त्रेतायुगे च वर्तन्ते VII. 74.Iga त्रेधाभूतं करिष्यामि VII. 85.6a त्रैलोक्यगतिरव्ययः VII. 23.10b त्रैलोक्यं कथमाक्रम्य I. 25 IIc
, तु करिष्यामि III. 64.62a ,, दह्यतेऽखिलम् I. 65.17d त्रैलोक्यप्रवरस्त्रियः V. 20.32b त्रैलोक्यमनृतं तेन VII. 22.40c त्रैलोक्यमपि किं तु सा II. 31.2Id
, नाथेन II. 2.13c
, निर्दहेत् VII 80.12b त्रैलोक्यमासीत्संत्रस्तम् I. 56.15c त्रैलोक्यमिदमव्ययम् VII. II.I8b
, 22.4d
"
, I06.Iob
,, , III.2d ,, स महातेजाः I. 29.2IC त्रैलोक्यसुन्दरी नारी VII. 87.29e
, भीरु VII. 17.21c त्रैलोक्यस्य च यः प्रभुः VII. 29.34b
, भजस्व माम् VII. 26.27d त्रैलोक्यस्यापि पार्थिव I. 58.5d त्रैलोक्यस्यामिपालनात् VII. I06.IIb त्रैलोक्यं स्वेन तेजसा VII. 30.4b त्रैलोक्यहितकामार्थम् I. 36.Ira त्रैलोक्यहितकाम्यया I. 35.17d त्रैलोक्यादधिका शुभाम् VII. 88.13b त्रैलोक्याधिपतिं विष्णुम् VII. I7.25a त्रैलोक्यामपि तत्त्वतः III. 9.32d त्रैलोक्ये क्षुमिते सति IV. 66.26b त्रैलोक्येन च पूजितम् VI. 123.21b त्रैलोक्येनापि संक्रुद्धः VI. 59.48c
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