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तं समीक्ष्य महातेजा: VI. 90.47a ,, ,, महासत्त्वम् V. 51.1a , ,, व्यवसितम् II. 24.1a ,, समीक्ष्यागतं रामम् IV. 12.25a ,, समीक्ष्यैव ते सर्वे V. 46.210 ,, समुत्क्षिप्य बाहुभ्याम् III. 30.18a , समुत्थाय काकुत्स्थः VI. I27.40a ,, समुत्पाट्य चिक्षेप VI. 67.10a ,, समुत्सृज्य सा शक्तिः VI. 59.II8a ,, स राजा दशरथः I. II.4c , सर्वेऽभिमुखाः स्वनम् II. I03.36b ,, सान्त्वयामास ततः III. 61.30a ,, समासाद्य विशुद्धसत्त्वम् IV. 24.30a ,, सिद्धमन्नमयाचत I. 65.5d ,, सिंहमिव विक्रान्तम् III. 28.13a , , संकुद्धम् VI. 64.14a ,, सीता परिशङ्कते V. 34.cd ,, स्म पश्यति रूपेण III. 44.4c ,, स्यदनमधिष्ठाय II. 46.28a. ,, स्वयं पूजयित्वा च III. 35.40a ,, ,, , तु III. 31.37a ,, हत्वा दुर्विनीतं ,, IV. 22.29c ,,,, निशि मानुषम् VI. 31.44d ,, हन्तुं कृतनिश्चयः III. 44.12d ,, हन्तुमसुरोत्तमम् IV. 9.7b ,, हरिप्रवरे प्रति V. 48.36d , हारमसितेक्षणा VI. 128.81d ,, हि चिन्तयमानायाः II. 62.18a ,,,, नित्यं महाराजः II. 73.15a ,, हृष्टरूपं समुदीक्ष्य वानरा: VI. 81.34c त्यक्तं जीवितभार्यया V. I3.9d त्यक्तधर्मर तिर्मूढः II. 75.550 त्यक्त धर्मव्रतं कूरम् VI. III.93c त्यक्तधर्माङ्कुशेनाहम् IV. 17.44c त्यक्तधर्मा त्वधर्मात्मा III. 36.12a
त्यक्तधर्मा त्यजाम्यहम् II. 42.7d त्यक्त निद्रे बभूवतुः II. 65.21d त्यक्तं पित्रा वनाश्रयम् VI. 36.4d त्यक्तप्रहरणा दिश: VI. 50.5b
श्रान्ताः VII. 14.30e , सर्वे VI. 56.32a त्यक्तभोगस्य मे राजन् II. 37.2a त्यक्तमात्र इह त्वया II. 52.40d त्यक्तयुद्धसमुत्साहाः VI. 82.30 त्यक्त व्यमिह जीवितम् II. 20.5d त्यक्तव्या त्वं भविष्यसि VII. 47.14d त्यक्त शोकैरिदं वाच्यः II. 68.6c त्यक्तश्च निरपत्रपः II. 75.33b त्यक्तसङ्गस्य सर्वतः II. 37.2d त्यक्तं स्याज्जीवितं मया VI. II6.12d त्यक्तात्मानश्च मत्कृते VII. II0.17d त्यक्ता त्वया प्रियतमा विदितापि शुद्धा
VII. 96.230 त्यक्तानां वनवासाय II. 43.7c त्यक्ता नृपतिना सती VII. 48.4d त्यक्ताभरणसंयोगा: VI. 75 24a त्यक्ताया जनसंसदि VI. II6. I0b
, बान्धवैः सर्वैः II. 35.12c त्यक्तां यज्ञायुधैः , II. II4.8a त्यक्तायुधं केवलजीवितार्थम् VI. 70.66c त्यक्तावैश्वर्यकारणात् II. 48.22b त्यक्तुं त्वां पापनिश्चयाम् II. 73.18b
,, नान्यमरिंदम II. I05.38b त्यक्त्वा गगनमास्थिता: V. 56.48d
, ज्ञातिजनं सीतें II. 117.22a ,, तपसि निश्चयम् III. 9.21d , तु तं ततो देशम् IV. 48.7a ,, त्वं व गतो नृप II. 77.7d ,, देहं महीतले V. 26.36d
देहान्नवैर्देहै: III. II.92c
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