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तेषामियं वसुमती III I4.16a तेषामुत्सार्यमाणानाम् VI. II4.23a तेषामुद्दिश्य राघव IV. 13.25b तेषामद्धरणं प्रति I. 12.ab तेषामुपरमः कृतः IV. 20.8d तेषामुपरि विष्ठितः VII. 23.44f तेषामृद्धिमतामृद्धिम् V. 6.27c तेषामेतत्प्रभावेण IV. 13.20a तेषामेव महाशब्दः II. I03.35c तेषामेवं प्रभावाणाम् I. 18.35c
VI. III.4IC ,, त्रुवाणानाम् VII. 40.15a , मुखाच्युतम् III. I0.7d ,, विषण्णानाम् II. 48.ra तेषामेवोपशृण्वताम् II. 3.3d तेषामौत्सुक्यमालक्ष्य II. II6.4a. तेषां पतनशफया V. I.II6d ,, पराया गुरुचन्दनानाम् VI. II.29c ,, पापं न विद्यते I. 23.15d ,, पुण्याहघोषोऽथ II. 6.8a ,, पुरस्तादलवान् VI. I26.12a. ,, प्रभावो दुर्धर्षः VI. 35.18a , प्रभुरहं सीते III. 55.15a ,, प्रविशतां तत्र VI. 39.12c ,, प्रहारान्स चकार मोघान् VI. 59.43a , प्रीतोऽभवद्भवः I. 66.IId ,, बहुविधं दत्त्वा II. 36.40 ,, बाणैर्महाबाहुः III. 45.28a , भारामितप्तानाम् III. 73.2.1a ,, भुजपरामर्श VI. 75.6oc ,, भोज्यं यथाविधि II. 91.55d ,, मध्ये गिरिवर: VI. 27.39a ,, ,, विशालाक्षी III. 54.2a ,, ,, स राघवः VII. I06.61) ,, ,, ,, राजर्षिः II. 3.26c
तेषां मध्ये स स्थितो राजा IV. 42.38a ,, मर्मस्वपातयत् VII. 23 43d ,, माता महात्मनाम् I. 6I.I6d ,, मासो व्यतिक्रान्तः IV. 53.2c ,, मुख्यतमं मन्ये V. I.IIIC , युद्धं महारौद्रम् VI. 55.15c , ,, समभवत् VII. 28.9a ,, यूथानि भागशः VI. 26.46d , यो नो ध्वजो राजा II. 67.30c ,, रामः शरैः षड्भिः VI. 44. Iga ,, रामेण रक्षसाम् I. 20.13d ,, लोकाः सनातनाः III. 4.23d ,, वचनसर्वस्वम् III. 64.2cc ,, वचः सर्वगुणोपपन्नः II. 40.51a ,, वरयतां कन्याम् I. 66.16c , वरुणसूनूनाम् VII. 23.38a ,, वासस्त्रिविष्टपे VI. 128.12od ,, विनर्दतां शब्दः VI. 55.I7c ,, विलपितं कृच्छ्रम् IV. 23.5c ,, वीर्यगुणोत्साहै: VI. 7.17a ,, वीर्यवतां वीर्यम् I. 66.19c ,, वृक्षांश्च शैलांश्च VI. 71.40a ., वेगवतो वेगम् VI. 45.5a , वै समवेतानाम् II. I07.13c ,, शतसहस्राणि VI. 75.I7c ,, शशंस गङ्गायाम् II. 57.10a ,, शिरोधरान्धूतान् VII. 7.17a ,, संख्या न विद्यते IV. 37.25d ,, संजल्पमानानाम् VI. 92.4la ,, संनह्यमानानाम् VI. 75.41a ,, समाप्तिरायत्ता II. 45.28c ,, समुत्कृष्टर वं निशम्य VI. 74.67c ,, समुपविष्टानाम् VII. 37.24a
" , 45.Ia » y , 74.6c
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