________________
तावत्सर्वं समुच्यम् VII. 81.lob तावत्सर्वस्य वर्तते VII. 94.27d तावत्सर्वाणि दत्तानि VII. 92. IIC तावत्सीता प्रदीयताम् VI. 9.18d तावस्थास्यन्ति मे कथा: VII..0.22d तावस्थास्यामि मेदिन्याम् VII. I08.32c तावदाश्वासयाम्यहम् VI. 67.Sod तावदिच्छामहे गन्तुम् III. 8.ga तावद्दुःखमवाप्नुहि V. 24.35b तावदूर्ध्वमधथ त्वम् I. 2.38a तावदेतानतिक्रम्य VI. 60.50c तावदेतां पुरीं लङ्काम् V. I3.50c तावदेव मया साधम् II. 21.8c
,, वयं लघु II. 46.21b तावदेवाभिषिञ्चस्व II. 4.20c तावदेवाभिषेकस्ते II. 4.25C तावद्ददामि ते सर्वम् I. 53.2IC तावद्दर्शनमस्या नः II. 37.17c तावद्धर्मकृतां श्रेष्ट II. I0I.2IC तावद्धि मम जीवितम् V.37.7d तावद्धयहं दूत जिजीविषेयम् V. 36.30c तावद्भिरेव चिच्छेद III. 20.18a तावद्यावद्धि मे प्राप्तम् I. 64.10a तावद्योत्स्ये निशाचरै: I. 20.5d तावद्रमस्व सुप्रीतः VII. I08.30c तावद्राज्यं तवास्त्विह VII. I08.25d तावद्रामायणकथा I. 2.37a तावद्व्यवर्धतेवास्य II. 42.2c तावद्वानररक्षोभिः VII. 92.13a तावन्तो बिल्वसहिताः I. 14.22c
,, राक्षसा हताः VI. 30.30d तावन्मामवटे क्षिप्त्वा III. 7I.3IC a1a-ziej Rarqarit VII. 34.19a तावन्योन्य विनिर्दह्य VI. 71.87e तावन्योन्याञ्जलिं कृत्वा I. II.22c
तावप्यमितविक्रमौ VI. 46.20b तावप्युभौ मानुषराजपुत्रौ VI. 74.69a तावर्धदिवसं श्रान्तौ II. 74.16a तावहं पुरुषव्याघ्रौ V. 35.29c
,, योधयिष्यामि VI. I2.36e तावापतन्तौ सहसा I. 30.14a तावारोप्य ततः स्कन्धम् III. 3.25a तावासीनौ ततो दृष्ट्वा IV. 8.14a ताविभौ शोकसंतप्तौ IV. 21.ga ताविमौ देहनाशाय VI. 50.18c तावुत्थाप्य महातेजाः VI. 50.4la ताबुभावम्बरे बाणौ VI. 71.87a तावुभौ च नयानयौ VI. 63.IId ,, , प्रकाशेते VI. 45.9c ,, ,, समालिङ्गय II. 99.40c ,, तद्वनं महत् III. 74.21b ,, दीप्यमानौ स्म VI. 71.88c ,, द्विजसत्तमौ VII. 53.17d ,, नरशार्दूलौ V. 35.23c
. , 67.27c , पुरुषव्याघ्रौ V. 38.50a. , , ,, 40.15a ,, प्रमुखे स्थितम् III. 69.27b , ब्राह्मणोत्तमौ II. 32.13b ,, भ्रातरौ रणे III. 19.25b ,, मुनिदारको VII. 94.10d
, ,22d ,, मैथिलीसुतौ VII. 93.17b , यक्षराक्षसौ. VII. I5.28d ,, यमजातको VII. 66.9b , युगपद्वीरौ VI. 74.7a ,, रणमूर्धनि VI. 45.16b , , , go.54b , राक्षसौ वीरौ V. 46.32c , राक्षसौ हतौ III. 39.13d
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org