SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 204
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तथास्मि कर्ता कर्तव्ये V. 64. 160 तथाऽरिम कर्ता नचिरात् IV. 7.4C तथास्य धातो रूपम् VII. 35.45a तथा स्वपक्षेऽप्यनुमृश्य बुद्धया VI. 14.220 स्वरविहीनोऽयम् III. 68.c د. तथाहं क्रोधसंयुक्तः III. 64.75e धर्मनित्यस्य III. 56.rga हयगजैः शुभैः V. 4.27d हस्तिमुखस्य च V. 6.25d " "1 " ار رو " " " ور " د. "" "" 39 33 ** " " 54.13d हारेण शोभिना V. 10.26b हि नातिक्रमतेऽस्य बुद्धि: IV. 31.2d " "" "3 " " , विपुलन दि: VI. 51.4c " را ह्येते प्रकाशते II. 88. 150 13 तथेति च ततः सर्वे I. 12.20a श्रूयते शब्दः II. 54.6c सत्यं ध्रुवति प्रजाहिते II. 51.27a समरे वीरा: VI. 2. 120 हालर्कस्तेजस्वी II. 14.5a ह्यवोचस्त्वमतः प्रियोत्तरम् II. 7.360 در " पतितं रामम् II. 103.4a रामं वनवास निश्चितम् II. 24.38a در सति संमोहे II. 1. 31 ह्यात्तमिदं राज्यम् II. 61.18a " २५ "2 39 g प्रतिज्ञातम् VII. 42.350 प्रतिज्ञाते VI. 124.200 प्रतिज्ञाय II. 112.200 39 स राजानम् 1 12.3a 13.5a 14.5gc II. 5.3a 33 23 VII. 103.13a. "" चाब्रुवन्सर्वे I. 8.1gb तु प्रतिज्ञाय II. goga नियताञ्जलि: III. 12. 13b Jain Education International ३६९ तथेति नृपतिः प्रीतः I. 16.21a पितरं प्राह VII. 81.16c प्रतिजग्राह VI. 128. 12c VII. 108.28c 33 प्रत्यभाषत VI. 114. 13d " رو " " در در دو ار " "3 तथेत्याह कृताञ्जलिः VII. 49.13d नृपं तदा I. 11.21d " मधुर्वचः VII. 25.49d " तथेत्युक्तं च तन्मया I. 15.13d महात्मना II. 9.18b तथेत्युक्त्वाऽग्निशरणम् III. 12.5c तथेत्युक्त्वा तु जनकम् I. 73.19c सर्वे VI. 60.88a 39 " द्रुततरम् VI. 53.4a प्रविष्टा सा VII. 10.43C महातेजाः VI. 87.7a महावीर्यः VI. 60.90c समाहिताः III. 83.25b सरावः II. 117.14b By: VI. 112.12a तथेत्युवाच तां रामः III. 47.16c सुप्रीता II. 24.14C तथैकपत्नीत्वमिदं निरर्थकम् V. 28.13b तथैनं नाभिपद्यसे III. 59.1gd तथैव करवावेति VII. 93.17c कवचानि च VI. 41.38b " 29 भरतो वाक्यम् II. 76. 12a राजा संश्रुत्यI. II. 200 लक्ष्मणो वाक्यम् III. 20.50 39 ار स महाराज: VI. 119.26c संपूज्य वचस्तु तस्य IV. 2.2ga. " 33 در " ار किल दौहृदम् VII. 47.15b 35 तथैव खल्वात्मबलं च सारवत् V. 41.8c गच्छतस्तस्य II. 49.2a च गृहान्तरान् V. 53.21b For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy