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ततः क्षत जवेगेन IV. 46.6a ,, खङ्गेन महता VI. 81.32a ,, खङ्गं समुद्यम्य VI.78.40a ,, खनित्रमादाय III. 4.27a ,, पक्षिनिनादेन V. 42.1a. ,, पञ्चवटीं गत्वा III. I7.1a. ,, पत्ररथेश्वरम् VII. 18.28d .. पद्मपलाशाक्षः I. 15.31c ,, पद्मसहस्रेण IV. 39.29c ,, पद्मादिभिस्तत्र VII. I5.34a ,, पर जनस्थानात् III. 69.5a ,, ,, तदा राजा I. 16.17a ,, ,, न वः सेव्यः IV. 41.44c ,, परमकोपेन I. 66.200 ,, परमगम्या स्यात् IV. 40.66a ,, परमतेजस्वी VI. 54.29a ,, पर मदुर्धर्षः VI. 31.57a ,, परमसंक्रुद्धः VI. 92.25a ,, परमसत्कारम् I. 48.ga , परमसंतुष्ट: VII. 79.5c ,, परमसंभ्रान्तः VI. 61.24c ,, परमसंभ्रान्ता: I. 60.28a ,, परमसंहृष्टः IV.4.3a , परमसंहृष्टाः VI. 49.47c , परमुवाचेदम् II. II.I7c
, ,,,, 23a ., परिषदं सर्वाम् II. 2.1a ,, परिहिता गाढम् VI. 60.42a ,, पर हेममयः IV. 40.54 ,, पर्णकुटीद्वारम् II. I03.32a ,, पर्यन्तरक्ताक्षः VI. 45.10a ,, पर्वतकूटाभ: IV. 50.13c ,, पर्वतकूटाभम् III. 67.9c ,, पर्वतमासाद्य V. 58.16ga ,, पर्वतमुत्पाट्य VI. 67.9a
ततः पर्वतशृङ्गाणि III. I7.28a. ,, पर्वतशृङ्गाम: III. 50.27 ., पश्चात्समीक्षन्ते II. OTIC ,, पश्चात्सुखं रामे III. 36.21a ., पश्चात्सुगहती VI. 41.28a ,, पश्चादिदं वाक्यम् III. 31.30c , , , , 35.420 ,, पश्चान्महातेजा: III. 28.28a. ,, पश्चिममागम्य IV. 42 IOC , पश्यति धर्मात्मा I. 3.6a ,, पश्यन्त्वमुं दीनम् V. 53.4a ,, पश्यन्महातं जा: III. 20.18c ,, पश्याम्यहं देवीम् V. 58.22a ,, पाण्डुरमेघाभम् IV. 10.43c
VII. 23.20a ,, पादपमुक्तेन V. 2.2a ,, पादपमुद्धृत्य VI. 96.18a .. पादपसंबाधम् VI. 4.70a ,, पादमधर्मस्य VII. 74.22a ,, पादौ ग्रहीष्याम: VI. 64.26c ,, ,, सिषेच च VII. 65.31d ,, पापसमाचारा II. I4.20a ,, पारे समुद्रस्य VI. 22.56c ., पार्श्वमुपागम्य VII. I6 ga ,, पार्श्वेऽतिविपुलाम् V. 44. IOC ,, पावकसंकाशन् II. 16.28a ,, , , III. 30.24a ,, पाव कसंकाशैः III. 26.2ya ,, " , VI. 73.42a ,, पाशुपतं दिव्यम् VII. 21 40a ,, पास्यन्ति बाणौघा: VI. 63.47a. ,, पितरमामन्य VII. 55.8a ,, पितरि स्वर्याते VII. 78.5a ,, पितामहं दृष्टा VII. 36.1a ,, पितामहस्तत्र VII. 23.10a
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