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जात वैरौ तरस्विनौ VI. 58.56b | जानकी काश्चनी भवत् VII. 99.7d जातश्चान्तर्विवेशने ,, 128.6b
जानकी चापि तच्छ्रुत्वा V. 31.16a जातस्य तव राघव II. 20.45b
जानकी जातसंभ्रमा IV. 1.43b ,, मम कौशिक I. 20.Iod
, जीवितं त्यजेत् V. 30.9d ,, ., रावण III. 50.20b
,, तु महाराज II. 58.34a जातस्यामित्रनाशन VII. I0.3rd
,, न च दग्धेति V. 55.32c जातस्वेदस्ततो रामः III. 30-20a
,, न च दृश्यते IV. 49.3b जातहों विभीषणः VI. 87.1b
, , , , V. 58.82a जाताः कदम्बा: स कदम्बशाखा: IV. 28.26b
, पुरुषर्षभ V. 67.2a जाता जनकनन्दिनी VI. 60.II)
,, पूर्वमुत्थिता V. 67.3b ,, दशास्यप्रमदावनस्य V. 41.20C ,, प्रतिदीयताम् V. 51.21d जातानि गिरिसानुपु II. 98.15b
,, बहु मेने तम् V. 39.18c ,, पर्वतानेषु VII. 93.7c
,, भाषितं तथा V. 30.20b ., विमल जले IV. 51.7d
जानकीमन्ववैक्षत V. 22.23d जाता मही सस्यवनाभिरामा IV.28.26d
जानकीमविशोध्य हि VI. 118.14d जातामिव च दुष्कुले V. Ig. Iod
जानकी मुदिताभवत् V. 36.d जाता वनान्ताः शिखिसुप्रनृत्ताः IV. 28.26a | जानकी परिमार्गता V. 2.32d ,, विसंज्ञा श्रमणीव काचित् II. 38.4d ,, पर्यवस्थिताम V. 56.1b ,, वृषा गोषु समानकामा: IV. 28.26b .. पयेपस्थितो V. 27.14b जाति त्वं परिशङ्कसे VI. II6.7b
,, प्रति गर्जत V. 22.39b जातिभिः सप्तभिर्युक्तम I. 4.8c
,, बाष्पलोचनाम् III. 51 9b जातिरस्मद्विधानांसा VI. 65.44e
जानकी रक्षणार्थ वा V. 42.18a जातिरेव मम त्वेषा V. 50. I.1a.
, रावणेन तु V. 3I.gd जातो दशरथेनोाम् II. 88.3c
,, शुभलक्षणा II. 37.10d जातोद्वेगोऽभवत्किंचित् VI. 30.2e
,, स्कन्धमाश्रिता V. 27.15b , ,, 31.2c जानक्या परुषं वाक्यम् V. 58.74c जातो नरवराधिप II. 63.51b
जानक्याः शक्तिमान्भवेत् VII. 35.Iod ,, मे विस्मयः परः VII. 4.3d
जानक्याश्च विवाहं च I. 3. IIC ,, वा जायमानो वा III. 59.15a
जानक्याश्चिन्तितो विधिः V. 58.93d , वातेन मैथिलि V. 35.81b जानक्या सहित वीर II. I7.90c जातो वै नन्दिवर्धनः I. 71.5b
जानतश्चापि ते वीर्यम् VI. 41.6c जातो वै सुमहान यम् II. 23.5d
जानतामपि वः सर्वम् VII. 36.8c जात्यन्ध इव जात्यन्धैः IV. 18.16c . जानन्त ऋषयः सर्वे , 36.31a जात्यानुरूपास्तुर गाः शुभाङ्गा: V.7.12d जानन्तः प्राज्ञसंमताः ,, 16.48b जात्येन च सुवर्णन II. 9.48c
जानन्तस्तु स्वकं वीर्यम् IV. 14..Iga
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